महाकुंभ 2025: जूना अखाड़ा (Juna Akhara) और उनकी प्रमुख भूमिका

sadhu sant of juna akhara

Juna Akhara and Maha Kumbh Mela 2025: महाकुंभ मेला 2025 प्रयागराज में शुरू हो चुका है, जो करोड़ों श्रद्धालुओं और संतों के लिए आस्था और आध्यात्मिकता का केंद्र बना हुआ है। महाकुंभ के दौरान प्रमुख अखाड़ों की पेशवाई और शाही स्नान का विशेष महत्व होता है। इनमें से सबसे प्राचीन और प्रभावशाली अखाड़ा जुना अखाड़ा है।

जुना अखाड़ा: इतिहास और स्थापना (Juna Akhara ka Itihas)

जुना अखाड़ा भारत के सबसे पुराने और शक्तिशाली अखाड़ों में से एक है। इसका इतिहास आदि शंकराचार्य से जुड़ा हुआ माना जाता है, जिन्होंने 8वीं शताब्दी में सनातन धर्म के प्रचार और संरक्षण के लिए विभिन्न अखाड़ों की स्थापना की थी। जुना अखाड़ा मुख्य रूप से अघोरपंथी, नागा साधु और संन्यासी संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करता है।

महाकुंभ 2025 में जुना अखाड़ा की भूमिका

Juna Akhara Maha Kumbh 2025 Shahi Snan
Credit: ETV Bharat

महाकुंभ मेले में जुना अखाड़ा का विशेष स्थान होता है। यह अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करने का अधिकार रखता है। नागा साधु, जो जुना अखाड़े के प्रमुख संत होते हैं, अद्वितीय ऊर्जा और भक्ति के साथ गंगा स्नान के लिए निकलते हैं। यह दृश्य लाखों श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत अद्भुत और प्रेरणादायक होता है।

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जुना अखाड़ा की परंपराएं और विशेषताएँ

juna akhara in maha kumbh mela 2025
Credit: Maha Kumbh Mela 2025

नागा साधु: जुना अखाड़े के नागा साधु दुनिया भर में अपनी कठोर तपस्या, निर्वस्त्र रहने और अद्वितीय शक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। वे सांसारिक मोह-माया से दूर रहते हैं और केवल ईश्वर भक्ति में लीन रहते हैं।

धार्मिक अनुष्ठान: महाकुंभ के दौरान जुना अखाड़ा विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, यज्ञ, हवन और प्रवचनों का आयोजन करता है।

शाही स्नान: जुना अखाड़े के नागा साधु पारंपरिक हथियारों और भस्म धारण कर पहले स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। यह महाकुंभ का सबसे भव्य और आकर्षक आयोजन होता है।

सनातन धर्म का प्रचार: जुना अखाड़ा धर्म और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

महाकुंभ 2025 में जुना अखाड़ा के कार्यक्रम

महाकुंभ 2025 के दौरान जुना अखाड़ा अपने शिविरों में श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक प्रवचन, भंडारे और धार्मिक क्रियाओं का आयोजन कर रहा है। साधु-संतों के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लाखों श्रद्धालु यहाँ एकत्रित हो रहे हैं।


महाकुंभ मेला 2025 में जुना अखाड़ा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। यह अखाड़ा भारतीय संस्कृति, तपस्या और साधना का प्रतीक है। श्रद्धालु और पर्यटक महाकुंभ मेले में इस अखाड़े के दर्शन कर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं। महाकुंभ का यह अवसर धर्म, आस्था और शांति का प्रतीक है, जिसमें जुना अखाड़ा अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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