हनुमान जी को भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त और उनकी दिव्या शक्तियों के लिए जाना जाता है । उन्हें बल, बुद्धि, ज्ञान, निर्भयता और सेवा का आदर्श भी माना जाता है और इसीलिए श्री हनुमान चालीसा में एक चौपाई बल, बुद्धि, विद्या देहु मोहि हरहु कलेस विकार भी है। हनुमान जी को ‘चिरंजीवी’ यानी अमर माना गया है और ऐसा कहते हैं कि जहाँ जहाँ राम कथा या राम जी का कीर्तन होता है वहां वहां श्री हनुमान जी अवश्य आते हैं।यूँ तो हनुमान जी का जन्म वानर जाति में अंजना माता और केसरी के यहाँ हुआ लेकिन वे पवन देव के वरदान से उत्पन्न हुए थे इसलिए उन्हें ‘पवनपुत्र’ भी कहा जाता है।
हनुमान जी को सभी कार्यों में सिद्धि दिलाने वाले और हर प्रकार के शत्रु एवं बाधाओं से छुटकारा दिलाने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। उन्हें संकटमोचन, बजरंगबली और मारुति जैसे कई नामों से भी पुकारा जाता है। आज इस लेख में हम हनुमान जी की अष्ट सिद्धियों एवं नव निधियों (asht siddhi nav nidhi) के बारे में जानेंगे।
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हनुमान जी के अलावा और कौन-कौन चिरंजीवी हैं? (8 Chiranjivi kon kon hain?)

चिरंजीवी का अर्थ है समय के अंत तक जीवित रहने वाला। हिंदू धर्म में आठ चिरंजीवी (8 Chiranjivi) माने गए हैं जो इस सृष्टि में आज भी जीवित हैं। आइये देखते हैं वो कौन कौन हैं।
अश्वत्थामा – महाभारत के समय में पांडवों एवं कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वथामा को श्री कृष्णा ने अमरता का श्राप दिया था क्यूंकि अश्वथामा ने पांडवों के पुत्रों की हत्या कि थी एवं अपने प्रतिशोध को पूरा करने के वीरगति प्राप्त कर चुके अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में ही उसकी संतान को मारने का प्रयास किया था।
बलि – जब राजा बलि ने विष्णु भगवान के वामन अवतार को तीसरा पग रखने के लिए खुद को समर्पित कर दिया तब विष्णु भगवान ने उन्हें हमेशा जीवित रहने का वरदान दे दिया।
व्यास – भगवान वेदव्यास को वेदों, पुराणों एवं महाभारत का रचयिता माना जाता है। वे पराशर मुनि के पुत्र थे एवं उन्होंने ही दुर्योधन के पिता एवं हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र के रथ चालक संजय को दिव्य दृष्टि प्रदान की थी जिससे कि वो महाभारत का युद्ध देख सकें।
हनुमान – श्री हनुमान जी को अमरता का वरदान प्रभु श्री राम ने दिया था। हनुमान जी भगवान शिव शंकर के रूद्र अवतार हैं।
विभीषण – विभीषण लंका के राजा रावण के भाई थे। विभीषण ने कई बार अपने भाई को कहा कि वो माता सीता को राम जी तक सुरक्षित पंहुचा दें किन्तु रावण ने उनकी एक न मानी और उन्हें अपनी सभा से लात मार के निकाल दिया। तब विभीषण श्री राम की शरण में आ गए। इन्होने ही राम जी को बताया था कि रावण का अंत उसकी नाभि में रखे अमृत को सुखाने का बाद होगा। रावण का अंत होने के बाद श्री राम ने लंका का राज्य विभीषण को दे दिया।
कृपाचार्य – कौरवों और पांडवो के कुल गुरु थे कृपाचार्य। वे गुरु द्रोण की पत्नी कृपी के भाई भी थे।
परशुराम – भगवान परशुराम को विष्णु जी का ही एक अवतार माना जाता है। वे जन्म से एक ब्राह्मण थे किन्तु कर्म से एक छत्रिय। उन्होंने अपने प्रतिशोध के लिए कई बार इस धरती को छतरियों से विहीन करके इस धरती को ऋषि मुनियों को दान में दे दिया था।
मार्कण्डेय – मार्कण्डेय एक ऐसे ऋषि थे जो कि स्वयं यमराज को पराजित करके अमर हो गए थे।
इन चिरंजीवियों में हनुमान जी को विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि वे आज भी भक्तों की पुकार पर अवश्य उपस्थित होते हैं।
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हनुमान जी की Asht Siddhi Nav Nidhi कौन-कौन सी हैं?

अष्ट सिद्धियाँ (Asht Siddhi):
अष्ट सिद्धियों का अर्थ है ऐसी अलौकिक शक्तियाँ जो साधना और तप से प्राप्त होती हैं। हनुमान जी को ये सभी सिद्धियाँ प्राप्त थीं:
अणिमा – अपने शरीर को अत्यंत सूक्ष्म बना लेने की शक्ति
महिमा – अपने आकार को विशाल बना लेने की शक्ति
गरिमा – अत्यधिक भारी बनने की क्षमता
लघिमा – अत्यंत हल्का बनने की क्षमता
प्राप्ति – इच्छित वस्तु या स्थान की प्राप्ति करने की क्षमता
प्राकाम्य – किसी भी इच्छा को तत्काल पूर्ण करने की शक्ति
ईशित्व – सर्वत्र शासन करने की शक्ति
वशित्व – दूसरों को वश में करने की शक्ति
नव निधियाँ (Nav Nidhi):
नव निधियाँ धन-संपदा के नौ प्रकार मानी जाती हैं जो कुबेर से जुड़ी हैं, ऐसा मानते हैं कि इनमे से कोई एक भी निधि अगर व्यक्ति को प्राप्त हो जाए तो उसके जीवन में किसी भी ऐश्वर्य की कमी नहीं रहती । आइये जानते हैं कि ये नव निधि कौन कौन सी हैं।
पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुक्ता, कुंद, नील, खर्व
ये सभी निधियाँ साधारण धन-संपत्ति से परे, आध्यात्मिक और दिव्य शक्तियों का संकेत हैं।
हनुमान जी को ये सिद्धियाँ किसने और कब दी थीं?
हनुमान जी को (asht siddhi nav nidhi) अष्ट सिद्धि और नव निधियाँ माता सीता ने दी थीं। यह प्रसंग श्रीराम के राज्याभिषेक के समय का है। जब श्रीराम ने हनुमान जी को उनकी भक्ति एवं सेवा के लिए अमूल्य आभूषण भेंट में दिया तब हनुमान जी ने उसे अपने दांत से फाड़कर देखने लगे कि उसमें श्रीराम-सीता का नाम है या नहीं। इससे उपस्थित लोग चकित हो गए और हनुमान जी से पूछने लगे कि हे पवनसुत क्या आपके मन में भी राम हैं और तब हनुमान जी ने अपना सीना फाड् के सबको दिखा दिया कि उनके मन उनके हृदय में राम सीता का वास है।
तब इस भक्ति से प्रस्सन होकर माता सीता ने उन्हें आशीर्वाद स्वरूप अष्ट सिद्धि और नव निधियाँ प्रदान कीं और इसीलिए श्री हनुमान चालीसा में एक चौपाई आती है कि “asht siddhi nav nidhi ke data as bar deen janki mata” जिसका मतलब है कि बजरंगबली को ये सिद्धियां और निधियां माता सीता ने दी थी।
एक कहानी ये भी है कि जब हनुमान जी माता सीता को ढूंढ़ते हुए लंका पहुंचे और उन्होंने सीता जी को राम जी की अंगूठी दिखाई तब माता सीता ने प्रस्सन होकर उन्हें अष्ट सिद्धि और नव निधियां वरदान में दी।