हिंदू धर्म में बिना दैनिक पूजा के कोई भी शुभकार्य प्रारंभ नहीं किए जाते हैं। वैदिक परंपरा में भगवान की पूजा, नित्य अभिषेक आदि की क्रियाएं विशेष पुण्य का कारण बनती हैं। जीवन में उतार-चढ़ाव के इस दौर में कब क्या घट जाए कोई नहीं जानता।
ऐसे में हम जितना भगवान के नजदीक रहेंगे। उनकी पूजा-भक्ति में जितना अधिक समय बिताएंगे उतने अधिक बुरे कर्मों के प्रभाव से बचेंगे। दैनिक जीवन में प्रत्येक धर्मावलंबी को प्रतिदिन स्नान आदि से निवृत होकर वैदिक पूजाविधि को सम्पन्न करना चाहिए।
आज का बदलता दौर, नौकरी, व्यवसाय आदि की व्यस्तताओं के चलते कई बार हम भगवान की पूजा आदि करने लिए मंदिर या देवस्थान पर नहीं पहुंच पाते हैं। धन कमाना भी जरूरी है ऐसे में हम अपने घरों में ही भगवान का शांतिपूर्ण पूजा स्थल बनाकर शांति पूर्वक भगवान का पुण्य-स्मरण, पूजा आदि क्रिया बहुत ही सुव्यस्थित तरीके कर सकते हैं।
अब सहज प्रश्न उठता है कि, मंदिर जैसी पवित्रता घर में कैसे आ सकती है? अपने घरों में मंदिरों जैसी पवित्रता तो नहीं आ सकती, ये बात पूरी तरह सत्य है। लेकिन अगर हम घर में पूजा स्थल के निर्माण के कुछ विशेष नियमों का ध्यान रखें तो, जरूर हमारे घर का देवस्थान सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण बन सकता है। इसमें मंदिर जैसी सकारात्मकता भी आ सकती है।
इसलिए, इस आर्टिकल में हम आपको घर पर पूजा स्थल बनाने के वैदिक, शास्त्रीय और वास्तु सम्मत नियमों की जानकारी देंगे। इन नियमों को जानकर आप भी अपने घर और जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बना सकते हैं।
घर में पूजा स्थल बनाते समय रखें इन बातों का विशेष ध्यान
सही दिशा का चुनाव है जरूरी
हम पहले ही आपको बता चुके हैं कि, पूजा कई प्रकार की होती हैं। नित्य पूजा, नैमित्तिक पूजा इत्यादि पूजाओं के माध्यम से हम अपने आराध्य देव का प्रतिदिन स्मरण करते हैं। हमारे इष्टदेवता ही कष्टों को हरने में समर्थ हैं।
वास्तु विधान के अनुसार, घर में पूजा स्थल हमेशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में बनाना चाहिए। मान्यता है कि इस दिशा में शुभता का प्रभाव सबसे अधिक होता है। इसके साथ एक बात का और ध्यान रखें कि
यदि ईशान कोण में मंदिर की स्थापना संभव न हो तो उत्तर या पूर्व दिशा में भी पूजा स्थल का निर्माण करवाना चाहिए।
पूजा स्थल पर भगवान का मुंह किस दिशा में हो
शास्त्रों के अनुसार, घर के मंदिर में भगवान का मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। पूर्व दिशा को सकारात्मक ऊर्जा की दिशा कहा जाता है क्योंकि भगवान सूर्य इसी दिशा की ओर से निकलते हैं।
इस दिशा में भगवान की स्थापना करने से सकारात्मकता आने के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि दोनों प्राप्त होती हैं।
पूजा स्थल पर रखी जाने योग्य पूजा-सामग्री
पूजा स्थल में पूजा के लिए आवश्यक सामग्री रखी जा सकती है, जैसे कि,
- देव मूर्तियां
- प्राकृतिक अगरबत्ती
- घी-दीपक
- पुष्प
- प्रसाद
आदि।
पूजा स्थल पर रखें इन खास बातों का ध्यान
पूजा के समय मूर्तियों में जो भी फूल चढ़ाए जाते हैं उन्हें सूखने से पहले ही हटा देना चाहिए। भगवान की मूर्तियों के मुख को मालाओं और फूलों से नहीं ढंकना चाहिए। हमेशा फूल और माला ऐसे चढ़ानी चाहिए जिससे पूजा करते समय भगवान का मुख पूरी तरह हमें दिखाई दे।
पूजा परमात्मा के नजदीक ले जाने का एक विशेष साधन है कुछ सावधानियों को ध्यान रखकर हम अपने घर को मंदिर की तरह पवित्र बना सकते हैं। यह लेख आपको भगवान की भक्ति-पूजा के लिए जरूर प्रेरित करेगा। अगर आप भी अपने घर में पूजा स्थल बनाते हैं तो इन बातों का ध्यान रखकर प्रतिदिन भगवान की पूजा अर्चना अवश्य करें।