नवरात्रि के शुभ पर्व पर कलश की स्थापना कैसे करे?

नवरात्री के पर्व पर माँ दुर्गा का दिव्य एवं अलौकिक रूप

नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा की उपासना का विशेष समय होता है, और इस दौरान कलश स्थापना (घट स्थापना) का विशेष महत्त्व है। कलश को शुभता, समृद्धि, और देवी दुर्गा की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसे सही विधि से स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इसके माध्यम से हम देवी दुर्गा का आह्वान करते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि नवरात्रि में कलश की स्थापना कैसे करें और इसके लिए कौन-कौन से नियम और विधियां अपनानी चाहिए।

कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री:

नवरात्रि के पर्व पर स्थापित एक कलश
Credit: HarGharPuja

कलश की स्थापना के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  1. मिट्टी का बर्तन
  2. स्वच्छ मिट्टी
  3. जौ
  4. तांबे, पीतल या मिट्टी का कलश
  5. शुद्ध जल
  6. आम या अशोक के पत्ते
  7. नारियल
  8. लाल वस्त्र
  9. फूल, अक्षत (चावल), कुमकुम, हल्दी, सुपारी, पान का पत्ता
  10. मौली (धागा), चंदन और धूप

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त:

कलश स्थापना को शुभ मुहूर्त में करना अत्यंत आवश्यक होता है। शास्त्रों के अनुसार, यदि शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की जाए तो देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। प्रातःकाल के समय या अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना शुभ माना जाता है। पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त का समय निकाला जा सकता है, और इसी समय घट स्थापना करना उचित रहता है।

नवरात्रि पर कलश स्थापना की विधि:

नवरात्री के पर्व पर माँ दुर्गा का दिव्य एवं अलौकिक रूप
Credit: HarGharPuja

1. पूजा स्थल का चयन और शुद्धिकरण:

कलश स्थापना के लिए सबसे पहले घर के पूजा स्थल का चयन करें। उस स्थान को शुद्ध करें और गंगाजल छिड़ककर पवित्र बनाएं। पूजा स्थल पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। यदि संभव हो, तो एक लकड़ी के पाटे पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर देवी दुर्गा का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।

2. मिट्टी का बर्तन और जौ बोना:

एक मिट्टी का बर्तन लें और उसमें स्वच्छ मिट्टी डालें। अब उस मिट्टी में जौ बोएं। जौ को नवजीवन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद बर्तन को पूजा स्थल पर रखें।

3. कलश की स्थापना:

अब तांबे, पीतल, या मिट्टी का कलश लें और उसमें शुद्ध जल भरें। उसमें एक सुपारी, कुछ सिक्के, और अक्षत डालें। कलश के चारों ओर मौली (धागा) बांधें और उसके मुख पर आम या अशोक के पत्ते रखें। अब कलश के ऊपर एक नारियल रखें, जिसे लाल वस्त्र में लपेटा गया हो। नारियल को इस तरह से रखें कि उसका मुख आपकी ओर हो।

4. मां दुर्गा का आह्वान:

कलश स्थापना के बाद, मां दुर्गा का आह्वान करें। देवी दुर्गा के समक्ष दीप जलाएं, धूप अर्पित करें, और फूल, कुमकुम, हल्दी, चंदन से उनका पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और दुर्गा चालीसा का पाठ भी शुभ माना जाता है।

5. जौ के अंकुरण का महत्त्व:

नवरात्रि के नौ दिनों तक कलश के पास बोए गए जौ की देखरेख करें। हर दिन थोड़ा पानी छिड़कें ताकि जौ उग सके। ऐसा माना जाता है कि जौ जितने हरे और अच्छे उगेंगे, घर में उतनी ही समृद्धि और सुख-शांति आएगी।

6. नवमी पर विसर्जन:

नवरात्रि के समापन पर, नवमी या दशमी के दिन, कलश का विधिवत विसर्जन करें। जल में कलश का विसर्जन करने के साथ देवी दुर्गा को विदा दें और उनसे पुनः घर आने का आशीर्वाद मांगें। इस दौरान देवी को प्रसाद, वस्त्र, और आभूषण अर्पित करना शुभ माना जाता है।

कलश स्थापना के नियम:

  1. कलश स्थापना के दौरान पूरी श्रद्धा और शुद्ध मन से पूजा करें।
  2. पूजा स्थल को स्वच्छ और पवित्र रखें।
  3. नवरात्रि के दौरान व्रत रखें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  4. हर दिन देवी दुर्गा की पूजा करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  5. पूजा के दौरान शुद्ध वस्त्र धारण करें, विशेष रूप से सफेद या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
  6. परिवार के सभी सदस्यों को पूजा में शामिल करें और माता रानी की कृपा पाने के लिए एक साथ आरती करें।

कलश स्थापना नवरात्रि के दौरान सबसे महत्वपूर्ण पूजा विधि मानी जाती है। सही विधि और नियमों का पालन करते हुए कलश स्थापित करने से घर में सुख, समृद्धि, और शांति का वास होता है। यह देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक प्रमुख माध्यम है। नवरात्रि के नौ दिनों तक कलश की पूजा और देखरेख करना आवश्यक होता है, जिससे देवी दुर्गा का आशीर्वाद निरंतर बना रहता है।