श्रावण मास है विशेष, शिव आराधना से होगी मनोवांछित फल की प्राप्ति, सफल होंगे सारे काम

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम। 

जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।।

श्रावण मास हिंदू धर्म के अनुसार सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की विधि- विधान से पूजा अर्चना की जाती है। श्रावण का महीना मंगलमय और कल्याणकारी है। 

श्रावण मास का पहला दिन विशेष रूप से शिव भक्तों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन को शिवरात्रि के पहले दिन के रूप में भी जाना जाता है और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। शिव मंदिरों में सुबह से ही शिव भक्तों की आप भीड़ देख सकते हैं। 

भगवान भोले नाथ के प्रति अपार भक्ति श्रावण मास में विशेष फलदायी मानी जाती है। खास बात यह भी है कि सावन के महीना चातुर्मास की समयावधि में आता है।  ऐसे में साधु-संत एक स्थान पर निवास कर  ईश्वरीय भक्ति लीन रहते हैं।

महादेव को समर्पित है श्रावण मास

सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है। महीने के प्रथम दिन से ही भगवान शिव की पूजा अर्चना प्रारंभ हो जाती है।  इस साल सावन का विशेष महत्व है, क्योंकि  सावन मास की शुरुआत सोमवार के दिन से हो रही है। 

a statue of a man in the water
Courtesy: pixabay

सोमवार माने भगवान शिव की आराधना का पहला दिन। सनातन परंपरा में व्रत-उपवास सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं। व्रत-नियम के बिना हिंदू धर्म में सभी धार्मिक क्रियाएं अधूरी मानी जाती हैं। इस महीने में किए गए व्रत-उपवास का फल कभी भी निष्फल नहीं जाता। 

सावन के महीने में बहुत से शिव भक्त सोमवार का व्रत करते हैं और कुछ लोग तो पूरे महीने प्याज, लहसुन, मांस, शराब का सेवन नहीं करते हैं। सावन सोमवार व्रत में भक्त सात्विक चीजों का सेवन करते हैं।

अगर रख रहे हैं सावन के सोमवार का व्रत

अगर आप भी सावन सोमवार के व्रत रख रहे हैं तो आपको सोमवार व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करना होगा। व्रती को भोजन करते समय निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

1. सात्विक भोजन

सावन सोमवार व्रत में आप सात्विक भोजन कर सकते हैं।  व्रत के दौरान सात्विक भोजन का सेवन किया जा सकता है। इसमें आप आलू, दही, हलवा, बिना अन्न से बने मीठे पदार्थ आदि का सेवन कर सकते हैं।

2. फल

सावन सोमवार व्रत में आप फलों का सेवन कर सकते हैं। फलों में आप आम, सेब केला, तरबूज,अनार जैसे फलों को शामिल कर सकते हैं।

इस साल सावन मास की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है और इस महीने का समापन 19 अगस्त दिन सोमवार को होगा। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि ऐसा संयोग कई साल बाद बन रहा है, जब सावन के पहले सोमवार पर एक या दो नहीं बल्कि पांच अद्भुत योग बन रहा हो।

इस बार सावन में पांच सावन सोमवार का व्रत किया जाएगा, जो व्रतधारियों के सारे मनोरथों को पूरा करेंगे। श्रावण माह में हर सोमवार को भी भगवान भोलेनाथ जी की पूजा की जाती है जिसे श्रावण सोमवार कहते हैं।  

शिव भक्त व्रत और उपासनाओं का पालन करते हुए  शिव भक्ति और साधना से विशष पुण्य का अर्जन करते हैं। वैसे भी भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा कभी निर्रथक नहीं होती, जो उन्हें सच्चे मन से ध्याता है वो मन चाहा फल पाता है।

सावन के पहले दिन ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

पूजन-विधि

स्नान (शुद्धि): पूजा के लिए पहले स्नान करें। यह स्नान शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक होता है।

पूजा स्थल: साफ और शुद्ध स्थान चुनें जहां आप पूजा कर सकें। यदि संभव हो, तो शिवलिंग के समीप पूजा स्थल स्थापित करें।

पूजा सामग्री:

  • शिवलिंग
  • जल (गंगाजल या स्थानीय जल)
  • बेल पत्र
  • धातु का कलश (जिसमें जल हो)
  • धूप, 
  • दीप, 
  • अगरबत्ती
  • फूल (जैसे चम्पा, रातरानी, केवड़ा, गुलाब)
  • नैवेद्य (फल, मिठाई)
  • गंध (केवड़ का इत्र या धूप में गुलाब अथवा धूप में जो कुछ हो )

ॐ नमः शिवाय का करें जाप

भगवान शिव जी की पूजा का सर्वमान्य पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’, जो प्रारंभ में ॐ के संयोग से षडाक्षर हो जाता है, भोलेनाथ को अति प्रिय है। य इस मंत्र के जप से शीघ्र ही भोले नाथ की कृपा प्राप्त होती है।

भगवान शिव जगतपूज्य हैं। उनकी भक्ति में समां जाना अर्थात परम आनंद को पा लेना है।  आतमानुभूति की चरमोत्कर्ष दशा का नाम भगवान शिव से एकाकार हो जाना है।

अनंत शक्ति स्वरूप भगवान महादेव, महास्वरूप हैं, दयालु हैं, भोले भंडारी हैं, जो भी उनकी शरण में आता है बस उन्हीं का बनकर रह जाता है…

अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।

तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।।