भगवान शिव को Neelkanth क्यों कहा जाता है

Neelkanth Bhagvan: भगवान शिव, जो हिंदू धर्म में त्रिमूर्तियों में एक से एक प्रमुख भगवान हैं उन्हें कई नामों से जाना एवं पूजा जाता है। इनमें से एक प्रमुख और अद्भुत नाम है नीलकंठ, जिसका अर्थ है “नीले गले वाला।” यह नाम न केवल उनकी महिमा को दर्शाता है बल्कि एक महान पौराणिक कथा और गहरे आध्यात्मिक संदेश को भी प्रकट करता है।

भगवान शिव को नीलकंठ क्यों कहा जाता है?

Neelkanth नाम का संबंध हिंदू धर्म के प्रसिद्ध समुद्र मंथन की कथा से है। यह कथा हमें बताती है कि देवता और असुर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे। मंथन के दौरान अनेक अद्भुत वस्तुएं निकलीं, जैसे रत्न, धन, और अंततः हलाहल नामक विष। हलाहल इतना घातक था कि अगर इसे रोका न जाता, तो यह पूरे ब्रह्मांड को नष्ट कर सकता था। विष के प्रभाव से सभी देवता और असुर भयभीत हो गए और भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे इस संकट को दूर करें।

भगवान शिव ने करुणा दिखाते हुए वह विष पी लिया। लेकिन विष के प्रभाव को अपने शरीर में फैलने से रोकने के लिए देवी पार्वती ने उनके गले को पकड़ लिया, जिससे विष वहीं ठहर गया और उनका गला नीला हो गया। इस घटना के कारण भगवान शिव को नीलकंठ कहा जाने लगा।

Neelkanth का प्रतीकात्मक महत्व

Neelkanth bhagvan shiva
credit: templepurohit

नीलकंठ केवल एक नाम नहीं है; यह जीवन और उसके संघर्षों से जुड़ी कई गहरी सीख देता है।

निःस्वार्थता और बलिदान: शिवजी ने विष पीकर सभी की रक्षा की, जिससे उनकी निःस्वार्थ प्रवृत्ति प्रकट होती है। यह हमें सिखाता है कि हमें दूसरों के लिए त्याग करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।

आंतरिक शक्ति: विष को अपने भीतर रोकने का साहस भगवान शिव की अद्वितीय शक्ति को दर्शाता है। यह हमें बताता है कि जीवन के कठिन समय में धैर्य और आत्म-नियंत्रण कितना आवश्यक है।

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नकारात्मकता पर नियंत्रण: विष नकारात्मकता जैसे क्रोध, लोभ, और ईर्ष्या का प्रतीक है। शिवजी का विष को काबू में रखना यह सिखाता है कि नकारात्मकता को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए।

नीलकंठ का आध्यात्मिक संदेश

भगवान शिव का नीला गला हमें यह याद दिलाता है कि वे सृष्टि के रक्षक और संतुलन बनाए रखने वाले हैं। नीलकंठ यह संदेश देता है कि सकारात्मक ऊर्जा से हर हानिकारक शक्ति को दूर किया जा सकता है।

हलाहल का विष हमारे जीवन की चुनौतियों और संघर्षों का प्रतीक है। शिवजी का विष पीना यह सिखाता है कि संघर्षों से भागने की बजाय हमें उन्हें स्वीकार करके काबू में रखना चाहिए।

भक्तों के लिए नीलकंठ का महत्व

भगवान शिव के नीलकंठ स्वरूप से भक्तों को प्रेरणा मिलती है। वे मानते हैं कि नीलकंठ की पूजा से साहस, शांति, और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि जैसे पर्व पर भक्त भगवान शिव की इस कथा पर ध्यान करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि वे भी शिवजी की तरह जीवन के कठिन दौर का सामना कर सकें।


Neelkanth केवल भगवान शिव का नाम नहीं, बल्कि यह करुणा, शक्ति, और संतुलन का प्रतीक है। नीलकंठ की कथा हमें सिखाती है कि जीवन की चुनौतियों का सामना किस तरह साहस और धैर्य से किया जाए। अगर हम neelkanth के गुणों को अपने जीवन में अपनाएं, तो न केवल हम अपने जीवन में शांति और संतुलन ला सकते हैं, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं।

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