अगर आप एक ऐसी जगह रह रहे हैं जहाँ आप अपने बड़े बूढ़ों से दीपावली की पूजा विधि नहीं पूछ सकते, या आप दीपावली की पूजा पहली बार कर रहे हैं और आप नहीं जानते कि इस लक्ष्मी गणेश जी कि पूजा को कैसे किया जाए या आपने हमारी दिवाली पूजा किट खरीदी है और आप जानते चाहते हैं कि घर पर रहकर, पूर्ण विधि विधान के साथ, आसान तरीकों से दीपावली की पूजा कैसे की जाए तो उसके लिए पढ़िए हमारा ये लेख जिसमें हमने पंडीजी से पूछकर सारे विधि विधान बड़े ही आसान तरीकों में बताए हैं।
Table of Contents
पूजा स्थल की तैयारी
- सबसे पहले पूजा स्थान पर झाड़ू एवं पोंछा लगाकर स्थान को साफ़ कर लें,
- भूमि पर एक चौकी लगाएं एवं उस चौकी को किसी साफ कपडे से साफ़ कर लें,
- इसके पश्च्यात चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं,
- कपड़े के बीच में लक्ष्मी माता एवं गणेश भगवान की मूर्तियां रखें (ध्यान रहे, कि लक्ष्मी जी को गणेश भगवान के दाहिने तरफ ही बिठाएं) एवं दोनों मूर्तियों का चेहरा पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ ही रखें । इसी चौकी पर लक्ष्मी जी के चरण भी स्थापित कर दें।
- अब मूर्तियों के आगे कुछ रुपए, इच्छा अनुसार गहने या आभूषण एवं पांच चांदी के सिक्के भी रखें ( यह चांदी के सिक्के ही कुबेर भगवान का रूप है )
कलश स्थापन
- अब लक्ष्मी जी की मूर्ति के दाहिने तरफ अक्षत से अष्टदल बनाएं यानी कि अपने हाथों से आठ दिशाएं बनाएं बीच से बाहर की तरफ,
- फिर एक कलश लें जिसमें जल भरा हुआ हो और उस कलश को इस अष्टदल के बीचों बीच स्थापित कर दे,
- इसके पश्चात कलश के अंदर चंदन, दूर्वा, सुपारी, पंचरत्न एवं आम के पत्ते रखें,
- यह सब करने के बाद कलश के ऊपर, बीच में मौली लिपटा हुआ एक नारियल रख दें।
- जलपात्र बनाने के लिए, एक दूसरा तांबे का बर्तन ले और सबसे पहले उस बर्तन के चारों ओर कलवा लपेट लें उसके पश्चात उस बर्तन में पानी लें और उसमें थोड़ा सा गंगाजल मिला दें।
देसी घी के दिए तैयार करना
- दो देसी घी के बड़े दिए एवं 11 सरसों के तेल के छोटे दिए बनाकर तैयार कर लें।
- याद रहे कि अब तक बताया गया सारा काम आपको पूजा के शुभ मुहूर्त से पहले करना है इसके अलावा शुभ मुहूर्त से पहले ही घर के बाकी सभी सदस्यों के लिए बैठने के आसन भी मूर्तियों के आगे बिछा लें।
पूजा की शुरुआत
- पूजा शुरू होने से पहले घर के सभी सदस्य नहा कर एवं नए वस्त्र धारण कर कर अपने-अपने आसन पर बैठ जाएं।
- अब सबसे पहले जो हमने जल पात्र तैयार किया है उसमें एक गेंदे के पुष्प को डुबोकर पूजा की जितनी भी सामग्री है सारी सामग्री पर गंगाजल के छींटें मारकर शुद्ध कर लें, इसी के साथ-साथ घर के सभी सदस्यों पर भी इस प्रकार गंगाजल के छींटें मारें।
आचमन
- इसके बाद आचमन करें, (याद रखें आचमन कभी भी दाहिने हाथ से नहीं लिया जाता) ,
- अपने बाएं हाथ से जल पात्र में से एक चम्मच की सहायता से पानी लेकर अपने दाहिने हाथ में रखें, इसके बाद हाथों को साफ करें,
- पुनः बाएं हाथ से ही दाहिने हाथ में पानी ले एवं “ओम केशवाय नमः” मंत्र का जाप करते हुए उसे पानी को ग्रहण करें
- इसके बाद दोबारा पानी ले एवं “ओम नारायण नमः” मंत्र का जाप करते हुए पानी को पी जावें
- अब तीसरी बार पत्र में से बाई हाथ से दाहिने हाथ में पानी लेते हुए एवं “ओम माधवय नमः” मंत्र का जाप करते हुए उसे पानी को पिएं ,
- अब जैसे हमने शुरुआत में हाथ धोए थे बिल्कुल उसी प्रकार वापस से अपने हाथ धो लें।
- याद रखें कि आचमन पूजा स्थल पर बैठे हुए सभी सदस्यों को इसी प्रकार करना है।
मूर्तियों का अभिषेक
- इसके पश्चात दोनों देसी घी के बड़े दीयों को जलाकर लक्ष्मी एवं गणेश जी की मूर्ति के सामने रखें, इसी प्रकार तेल के एक दिए को जलाकर उसे कलश के पास रख दें ,
- इसके बाद धूप एवं अगरबत्ती जलाकर उसे भगवान जी की मूर्तियों को दिखायें।
- इसके पश्चात फिर से एक पुष्प लेकर एवं उसे जल पात्र में डुबोकर उसी पुष्प से लक्ष्मी एवं गणेश जी की मूर्ति पर छीटें मारें एवं इसी प्रकार से उस पुष्प से पानी के छीटों को सिक्कों पर अर्थात कुबेर भगवान पर भी छिड़कें।
- माता लक्ष्मी एवं श्री गणेश पर गंगाजल छिड़कते समय उसमें थोड़ा शहद भी मिला लें, जिससे कि उनका अभिषेक भी हो सके।
- लक्ष्मी जी, श्री गणेश एवं कुबेर भगवान का अभिषेक करने के पश्च्यात, उन्हें इत्र लगाएं।
पूजा विधि
- अब दो पुष्प लेकर उन दोनों पुष्पों को लक्ष्मी एवं गणेश जी की मूर्ति के समक्ष रख दें, इसी प्रकार एक पुष्प लेकर उसे नारियल कलश के सामने रख दें और इसी प्रकार कुछ पुष्पों को सिक्कों के ऊपर या सिक्कों के आगे रख दें।
- अब मौली का एक टुकड़ा लेकर उसे लक्ष्मी जी की मूर्ति के चारों ओर कपडे के रूप में पहना दें पहना दें एवं इसी प्रकार गणेश जी की मूर्ति को जनेऊ चढ़ाएं।
- इसके पश्च्यात दोनों मूर्तियों को कुमकुम से तिलक करें।
- साथ ही साथ चांदी के सिक्कों को, जो रुपए आपने चौकी पर रखे हैं उन रुपयों को एवं जो गहने आपने चौकी पर रखे हैं उन गहनों पर भी कुमकुम से तिलक लगा ले।
- इसके पश्चात स्वयं को एवं अपने परिवार जनों को भी कुमकुम का तिलक लगाए।
- अब लक्ष्मी जी एवं गणेश जी के चरणों में अक्षत अर्पित करें,
- इसके पश्चात कमलगट्टा, जावित्री एवं एक नारियल लक्ष्मी जी एवं गणेश जी को अर्पित करें,
- दो लौंग, इलाइची एवं सुपारी एक पान के पत्ते पर रखकर लक्ष्मी एवं गणेश जी को अर्पित करें,
- इसके पश्च्यात कुबेर जी की पोटली में से शंख, धनिया, कौड़ी, मजीथ एवं गोमती चक्र भी माँ लक्ष्मी एवं श्री गणेश भगवान के समक्ष अर्पित करेंगे,
- इसके पश्चात खील, बताशे, मिठाई आदि का भोग लगाकर पुनः लक्ष्मी जी एवं गणेश जी को पुष्प अर्पित करें,
- इसके पश्चात जल पात्र में से चम्मच की सहायता से जल लेकर उस जल को चौकी के चारों तरफ घुमाकर, मूर्तियों के समक्ष छिड़क दें,
- इसके पश्चात हाथ में पुष्प रखकर “ॐ गं गणपतये नमः” एवं “ॐ महालक्ष्मयै नमो नमः” मंत्र का जाप करते हुए ध्यान करें एवं अपने परिवार जनों की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करें,
आरती
- इसके पश्च्यात धूपबत्ती एवं अगरबत्ती जलाते हुए गणेश भगवान एवं लक्ष्मी माता जी की आरती गावें।
- आरती के समय अपने घर के वातावरण को यज्ञ के धुंए के सामान शुद्ध करने के लिए “हवन कप्स” को भी जलाएं। हवन कप्स को जलाने के लिए आप कपूर को उसके ऊपर रख सकते हैं।
- आरती संपूर्ण होने के बाद पहले स्वयं आरती लें इसके बाद अपने परिवार जनों को भी आरती दें।
- इसके पश्चात आरती की थाली को नीचे रखते हुए जल पात्र में से थोड़ा सा जल लेकर उसे आरती की थाली के चारों तरफ घुमाकर जमीन पर छिड़क दें,
- इसके बाद अपने हाथों में पुष्प, सुपारी एवं अक्षत लेकर लक्ष्मी जी एवं गणेश जी से यह प्रार्थना करें कि इस पूरी पूजा विधि के दौरान अगर आपसे या आपके परिवार जनों से कोई भी त्रुटि या कमी रह गई हो तो उसके लिए आपको क्षमा करें।
- लक्ष्मी जी एवं गणेश जी से प्रार्थना करें कि वह अपना आशीर्वाद इसी प्रकार सदैव आप पर और आपके परिवार पर बनाए रखें।
- इसके पश्चात “ॐ गं गणपतये नमः” एवं “ॐ महालक्ष्मयै नमो नमः” मंत्र का जाप करते हुए हाथ में रखे हुए पुष्प एवं अक्षत को माता एवं गणेश जी के सामने अर्पित कर दें।
- इसके पश्चात प्रसाद के रूप में स्वयं मिठाई खाएं एवं परिवार जनों को भी मिठाई बांटे।
पूजा के बाद की विधियां
- इसके पश्चात आपने पूजा में जितने भी तेल के दिए बनाए थे उन सभी दीयों को घर के अलग-अलग कोनों में स्थापित कर दें एवं एक बात याद रहे की दिए का मुंह घर के अंदर की तरफ नहीं होना चाहिए।
- पूजा के अगले दिन खील, बताशे मिठाई एवं अपनी इच्छा अनुसार रुपए लेकर और उसे गणेश भगवान की कृपा मानकर आपके आसपास जो भी मंदिर है उसे मंदिर के पुजारी एवं पंडित जी को दें इसी प्रकार कुछ खील बताशे, मिठाई एवं धन अपनी इच्छा अनुसार अपने घर में काम करने वालों या सफाई वालों को दें।
दिवाली के त्यौहार का माहात्म्य जानने के लिए, हमारा ये बहुत ही सुन्दर लेख पढ़ें।
इस विधि में बताई गई सभी बातों को आप इस वीडियो से भी समझ सकते हैं।