Saubhagya Sundari Teej: सौभाग्य सुंदरी तीज महिलाओं के द्वारा मनाया जाने वाला एक हिंदू त्यौहार है। यह त्यौहार मुख्य रूप से उत्तर भारत, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह पर्व उस पवित्र दिन की याद दिलाता है, जिस दिन मां पार्वती को उनकी कठोर तपस्या के फल के रूप में स्वयं भगवान शिव उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए थे। महिलाएं अपने पति और परिवार की लंबी उम्र की और सुख समृद्धि की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं।
इस त्यौहार का संबंध पौराणिक और धार्मिक कथाओं से है, इसे हरितालिका तीज या तीजा भी कहा जाता है। यह त्यौहार न केवल पति-पत्नी के बीच उनके प्रेम को बढ़ता है, बल्कि महिलाओं को उनकी आस्था और परंपराओं को बनाए रखने का अवसर भी देता है।
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कब मनाया जाएगा सौभाग्य सुंदरी तीज?
सौभाग्य सुंदरी तीज जिसे हरितालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रतिवर्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिन मुख्य रूप से चांद के दर्शन और शुभ मुहूर्त के आधार पर तय होता है। इस वर्ष यह त्यौहार 16 नवंबर को मनाया जाएगा।
सौभाग्य सुंदरी तीज का महत्व?
सौभाग्य सुंदरी तीज महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को उनके वैवाहिक जीवन में सुख शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करना है। यह त्यौहार धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस त्यौहार का संबंध मां पार्वती और भगवान शिव से है। कहा जाता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था।
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस दिन सभी विवाहित महिलाएं मां पार्वती की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन में सुख की कामना करती हैं। तीज का यह त्यौहार विवाहित स्त्रियों के लिए सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
सौभाग्य सुंदरी तीज पूजा विधि
सौभाग्य सुंदरी तीज की पूजा को विधि पूर्वक करना चाहिए। इस दिन पूजा करने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर नहाकर साफ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें। इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। जिसमें अन्न और जल का त्याग किया जाता है। इसके बाद पूजा स्थल को साफ कर उस जगह को हल्दी, चंदन और फूलों से सजाया जाता है। उसके बाद भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति या फोटो को स्थापित किया जाता है।
इसके बाद उनके सामने दिया जलाकर उन्हें चंदन, अक्षत, फूल और फल चढ़ाया जाता है। इसके बाद कथा वाचन कर मां पार्वती की आरती की जाती है। मां पार्वती की आरती करने के बाद रात में चांद को अर्घ्य देकर व्रत को पूरा किया जाता है। व्रत करने वाली महिलाएं पहले चांद को फिर अपने पति को देखती हैं और उनके चरण स्पर्श करती हैं। इस दिन महिलाएं झूला झूलती हैं और तीज के लोकगीत गाती हैं। अगले दिन सुबह पूजा करके फलाहार या हल्का भोजन लेकर अपने व्रत को पूरा करती हैं।
व्रत के दौरान भूल से भी न करें ये काम
- व्रत को पूरी श्रद्धा और नियम के साथ करें।
- इस दिन महिलाओं के द्वारा 16 श्रृंगार करना अनिवार्य है, जिससे उनकी सौभाग्य और सुंदरता का प्रतीक दिखता है।
- कथा सुनने के साथ-साथ सामूहिक पूजा करें।
- पूजा करने से पहले अपने हाथों में और पैरों में मेहंदी जरूर लगाएं।
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