एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विघ्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
हिंदू धर्म में पूजा एक ऐसा माध्यम है, जिससे व्यक्ति परमात्मा से सीधे जुड़ सकता है। भगवान श्रीगणेश ऐसे देवता है जिन्हें प्रसन्न करने के लिए सोने चांदी फल फूल की जरूरत नहीं है उन्हें जो सच्चे मन से ध्याता है वो उनको पा लेता है।
भगवान गणेश की परम आराधना ही हमें श्री गणेश जी के समीप ले जा सकती है। सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का यह शुभ दिन भगवान गणेश की आराधना का समर्पित है।
इस दिन को संकष्टी चतुर्थी व्रत के नाम जाना जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जीवन से परेशानियां दूर होकर ऐश्वर्य, सुख, सौभाग्य में वृद्धि होकर शान्ति का अनुभव होता है तथा पुण्य का संचय होता है।
संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश पुराण के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना फलदायी होता है। इस दिन उपवास करने का और भी महत्व होता है। भगवान गणेश को समर्पित ये व्रत कठिनाइयों और बुरे समय से मुक्ति दिलाता है।
कई जगहों पर इसे संकट हारा कहते हैं तो कहीं इसे संकटा चौथ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
कब होती है संकष्टी गणेश चर्तुर्थी
हिंदू धर्म आस्था के साथ ही वैज्ञानिक धर्म भी है। यहां हर धार्मिक क्रिया का अध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 जुलाई को सुबह 07 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और चतुर्थी तिथि का समापन अगले दिन 25 जुलाई को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर होगा।
सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है, इसलिए 24 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट हरने वाली चतुर्थी। संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है,जिसका अर्थ है कठिन समय से मुक्ति पाना। दुखों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन गणपति जी की आराधना की जाती है।
जानिए सावन संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
सावन संकष्टी चतुर्थी के दिन स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दें। तत्पश्चात चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर जल से अभिषेक करें। इस दिन गणपति को सिंदूर, दूर्वा, मोदक जरुर अर्पित किए जाते हैं, साथ ही गणेश चालीसा का पाठ और महा आरती करें और पूजा में हुई गलती की क्षमा मांगे।
सावन संकष्टी चतुर्थी व्रत पर मंत्रों का करें जाप
- ॐ प्रमोदाय नमः
- ॐ विघ्नकरत्र्येय नमः
- ॐ मोदाय नमः
- ॐ सुमुखाय नमः
- ॐ अविघ्नाय नमः
- ॐ दुर्मुखाय नमः
संकष्टी गणेश चतुर्थी पर करें ये जरूर काम
- गौमाता को चारा खिलाएं।
- शाम को चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध से अर्घ्य दें, इससे मानसिक तनाव दूर होता है।
संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत के लाभ
भगवान गणेश को समर्पित यह व्रत कठिनाइयों और बुरे समय से मुक्ति दिलाता है.यह व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख शांति और सौभाग्य के साथ ही धन वैभव की विपुलता बनी रहती है।
भगवान गणेश जी की आरती करें
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥