शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम
सनातन हिंदू धर्म में तिथियों का संबंध धार्मिक अनुष्ठानों से जोड़ा जाता है। तिथियों के शुभ मुहूर्त में की गई पूजा कई बार भक्त को ऐसा फल देती है कि वह जीवन भर भगवान की भक्ति में ही लीन हो जाता है।
सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। वैष्णव समाज के लिए एकादशी की तिथि किसी उत्सव से कम नहीं होता है। इस दिन साधक भगवान विष्णु के निमित्त व्रत उपवास भी रखते हैं।
अजा एकादशी व्रत भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि अजा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ करने के समान पुण्य फल को प्राप्त करता है।
इस दिन भगवान विष्णु भक्तों को भी निराश नहीं करते। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि पर व्रत उपवास रख भगवान श्रीहरि विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से आय, आयु, सुख और सौभाग्य में मन मुताबिक वृद्धि होती है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट से मुक्ति मिलती है।
अजा एकादशी की तिथि कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार अजा एकादशी व्रत 2024 शुभ मुहूर्त
- अजा एकादशी बृहस्पतिवार, अगस्त 29, 2024 को
- एकादशी तिथि प्रारम्भ: अगस्त 29, 2024 को 03:49 AM बजे
- एकादशी तिथि समाप्त : अगस्त 30, 2024 को 04:07 AM बजे
अजा एकादशी की पूजन विधि
- अजा एकादशी तिथि का व्रत करने वालों को इस दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और घर की साफ-सफाई करनी चाहिए।
- दैनिक कार्य करने के बाद पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए।
- मान्यता है कि भगवान विष्णु जी को पीला रंग अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
- इसके बाद सूर्य देवता को जल का अर्घ्य दें। अर्घ्य देने के बाद भगवान विष्णु जी की पूजा करें।
- चौकी पर लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा अथवा चित्र को रखें। इसके बाद पीले रंग के फूल, फल, धूप और दीया आदि से भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करें।
- अजा एकादशी की पूजा में एकादशी व्रत की कथा का पाठ और भगवान विष्ण के मंत्र का जप करना चाहिए। इसके बाद पूजा के अंत में श्रीहरि की आरती कर अपने लिए सुख, समृद्धि और वंश की वृद्धि की कामना करनी चाहिए।
- अजा एकादशी के अगले दिन व्रत का पारण अवश्य करना चाहए क्योंकि इसके बगैर व्रत पूरा नहीं होता है।
अजा एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
- ॐ नमो नारायणाय
- ॐ लक्ष्मी नारायण नमः
- ॐ गोविंद गोपाल गोपीजनवल्लभ श्याम
- ॐ हरि ओम
श्रीहरि बीज मंत्र
‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ है और इस मंत्र का कर धन-वैभव, समृद्धि तथा जीवन के अनेक कष्टों से मुक्ति पाई जा सकती हैं।
श्रीहरि का शीघ्र फलदायी मंत्र
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
- ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
- ॐ विष्णवे नम:।।
धन-समृद्धि के विशेष मंत्र
- ॐ भूरिदा भूरि देहिनो,मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
लक्ष्मी विनायक मंत्र
- दन्ताभये चक्र दरो दधानं,कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
- धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
विष्णु के पंचरूप मंत्र
- ॐ अं वासुदेवाय नम:
- ॐ आं संकर्षणाय नम:
- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
- ॐ नारायणाय नम:
- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते
सर्वकार्य लाभदायक मंत्र
- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि। ॐ हूं विष्णवे नम:।
एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि के इस मंत्र का जाप जरूर करें। इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
अजा एकादशी व्रत करने से मिलते हैं लाभ
- अजा एकादशी व्रत रखने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है
- यह व्रत मोक्ष का द्वार खोलता है
- सर्व पापों का नाश होता है
- धन संपदा जीवन में बनी रहती है
- व्रत से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है भी मनोकामनाएं पूरी होती हैं
- व्रत से रोगों का नाश होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है