Shardiya Navratri 9th Day: नवरात्रि के नौवें दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानें पूजनविधि और मंत्र

देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित शारदीय नवरात्रि का त्योहार देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। शादरीय नवरात्रि के नौवें दिन, हम मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। इस खास अवसर पर लोग नए वस्त्र पहनते हैं, विशेष भोजन तैयार करते हैं। कुछ लोग इस दिन कन्याओं को अपने घर आमंत्रित करके कन्या पूजन करते हैं। इन कन्याओं को मां दुर्गा का दिव्य स्वरूप माना जाता है। भक्त नवरात्रि के नौवें दिन उनके पैर धोकर, उनकी कलाई पर पवित्र धागा बांधकर और उन्हें हलवा, पूरी और काले चने का नवमी प्रसाद देकर उनकी पूजा करते हैं और उनके उपहार देते हैं।

नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान, देवी दुर्गा के नौ अवतारों मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं नौवें दिन के महत्व और मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि और मंत्र के बारे में…

कौन हैं मां सिद्धिदात्री?

नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान हैं। वे चार भुजाओं वाली हैं। देवी मां अपने ऊपरी दाहिने हाथ की तर्जनी में, वह एक चक्र रखती हैं, वहीं, मां सिद्धिदात्री अपने ऊपरी बाएं हाथ में एक शंख रखती हैं। जबकि देवी अपने निचले दाहिने हाथ में एक गदा रखती हैं और अपने निचले बाएं हाथ में एक कमल का पुष्प रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं, इसलिए उनका नाम मां सिद्धिदात्री है। इनकी पूजा भगवान शिव ने भी की थी, जिससे फलस्वरुप उनको सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी। ऐसी मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं और उसे दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। 

नवरात्रि में नौवें दिन का महत्व

मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा का नौवां रूप हैं। देवी अपने भक्तों को शक्ति प्रदान करती है। ऐसा माना जाता है कि वह अपने भक्तों से अज्ञानता दूर करती हैं और उन्हें ज्ञान प्रदान करती हैं। देवी मां की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Maa Durga
Courtesy: unsplash/@sonika_agarwal

नवरात्रि के नौवें दिन की पूजा विधि

1. नवरात्रि के नौवें दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।

2. देवी सिद्धिदात्री की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीया जलाएं।

3. इसके बाद देवी मां को फूल, चंदन, रोली, अक्षत, धूप और प्रसाद चढ़ाएं।

4. मां सिद्धिदात्री का ध्यान करते हुए प्रसाद का भोग लगाएं।

5. मां को सफेद फूल और मिष्ठान्न बेहद प्रिय हैं, इसलिए सफेद रंग का भोग चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है।

6. मां सिद्धिदात्री की आरती करें।

7. पूजा समाप्त करते हुए मां सिद्धिदात्री का आशीर्वाद लें और सभी लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:

मां सिद्धिदात्री स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

प्रार्थना मंत्र

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि.

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

सिद्धिदात्री मां की आरती

जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता।

तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।

तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥

तू सब काज उसके करती है पूरे।

कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।

जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥

मां सिद्धिदात्री देवी स्तोत्र 

कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।

स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।

नलिस्थिताम् नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते॥

परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।

परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।

विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।

भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं।

मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

माता सिद्धिदात्री देवी कवच

ओंकार: पातुशीर्षोमां, ऐं बीजंमां हृदयो ।

हीं बीजंसदापातुनभोगृहोचपादयो ॥

ललाट कर्णोश्रींबीजंपातुक्लींबीजंमां नेत्र घ्राणो ।

कपोल चिबुकोहसौ:पातुजगत्प्रसूत्यैमां सर्व वदनो ॥