एकादशी (Ekadashi) का व्रत हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। साल में 24 एकादशी पड़ती हैं जबकि एक महीने में दो एकादशी का व्रत करना पड़ता है। सभी एकादशियों के व्रत का अपना अलग-अलग महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु (Vishnu) के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्री हरि के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करने से उनकी विशेष कृपा मिलती है। एकादशी संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है 11 और पूर्णिमा (Purnima) के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष एकादशी के नाम से जाना जाता है। इन सभी एकादशियों को अलग-अलग महीनों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। एकादशी व्रत का इतिहास पौराणिक ग्रंथों और गाथाओं में मिलता है। इसका सबसे पहले उल्लेख महाभारत में श्री कृष्ण ने अर्जुन से किया था।
Table of Contents

एकादशी के व्रत का महत्व
िंदू शास्त्र और पुराणों के अनुसार एकादशी (Ekadashi) को हरि वासर और हरि दिन के नाम से भी जाना जाता है। एकादशी के व्रत को हिंदू मान्यता अनुसार बहुत ही ज्यादा फलदाई माना जाता है। कहा जाता है कि एक एकादशी का व्रत लाखों किए गए पुण्य के बराबर होता हैं। एकादशी के व्रत को हवन, यज्ञ और वैदिक कर्मकांड से भी ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत की एक मान्यता यह भी मानी जाती है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है, इससे उसके पूर्वजों या पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। वहीं हिंदू धर्म के स्कंद पुराण में एकादशी व्रत के बारे में विस्तार से बताया गया है।

व्रत के नियम क्या है
एक एकादशी व्रत करने से आप लाखों में किए हुए पुण्य कमा सकते हैं, इसलिए यह व्रत बेहद कठिन भी होता है। इस व्रत को करने वालों को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक व्रत रखना होता है। इस व्रत को पुरुष और महिला दोनों कर सकता हैं, लेकिन इस व्रत को करने से पहले कुछ जरूरी नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।
आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में…
- एकादशी का व्रत दसवीं के दिन सूर्यास्त से ही शुरू हो जाता है।
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा कर ध्यान कर श्री हरि की पूजा करें।
- इस व्रत को करने वालों को दसमीं तिथि के दिन बिना नमक का भोजन करना होता है।
- एकादशी के व्रत करने वालों को कम से कम बातचीत करनी चाहिए और मन में श्री विष्णु के मित्रों का जाप करना चाहिए।
- एकादशी के व्रत के दौरान ताजा फल चीनी, कुट्टू का आटा, नारियल, जैतून, दूध, अदरक, काली मिर्च, आलू, साबूदाना, शकरकंद, सेंधा नमक आदि ग्रहण कर सकते हैं।

एकादशी के व्रत के दौरान क्या न करें?

तुलसी के पत्ते न तोड़ें
एकादशी का व्रत अगर आप कर रहे हैं तो भूल से भी तुलसी के पत्ते को नहीं तोड़ना चाहिए। तुलसी को भगवान विष्णु के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं की पूजा में विशेष रूप से पवित्र माना गया है। इसलिए एकादशी के दिन भूलकर भी तुलसी के पत्ते को नहीं तोड़ना चाहिए। मान्यता के अनुसार अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको आपके जीवन में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।

चावल का सेवन न करें
एकादशी के व्रत करने वालों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि एकादशी के दिन में चावल ग्रहण न करें और न ही चावल का दान करें। ऐसा करने से एकादशी का व्रत भंग हो सकता है।
बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए
एकादशी का व्रत करने वाले लोगों को भूलकर भी अपने बाल और नाखून को नहीं काटना चाहिए। ऐसा करने से उनका व्रत टूट सकता है।
एकादशी का व्रत करने वाले लोगों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन गेहूं, मसाले, सब्जी आदि से दूर रहें और इसका सेवन न करें।
भीम एकादशी के नाम से जानते हैं
एकादशी को भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि एक बार महर्षि वेदव्यास ने सभी पांडवों सहित माता कुंती को एकादशी का व्रत करने के लिए कहा था। उनके व्रत के बारे में बात सुनते ही सभी पांडव चौंक उठे। तभी भीम ने कहा कि हर महीने में अलग-अलग पक्ष के हिसाब से दो बार एकादशी की तिथि आती है। ऐसे में इस तरह व्रत रख पाना उनके लिए मुश्किल है, क्योंकि उनके पेट में वृक नामक अग्नि का वास है, जिसकी वजह से उन्हें बहुत भूख लगती है और यह अग्नि भी तभी शांत होती है जब वह अधिक मात्रा में भोजन ग्रहण करें।

उनकी यह बात सुनकर महर्षि वेदव्यास ने उन्हें कहा कि अगर तुम ज्येष्ठ मास की एकादशी को निर्जला व्रत रखोगे तो तुम्हें इससे साल भर की 24 एकादशी का पुण्य मिलेगा। यह सुनकर भीम ने महर्षि वेदव्यास की बात मान ली। इसके बाद उन्होंने ज्येष्ठ मास की एकादशी को निर्जला व्रत रख लिया। तभी से एकादशी को भीम एकादशी भी कहा जाने लगा।