Kamada Ekadashi 2025 का व्रत सनातन हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। यह व्रत सभी कामनाओं को पूरा करने वाला एवं सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। एकादशी का व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आने वाले महीनों में एकादशी का व्रत एक महीने में दो बार आता हैं। आइए जानते हैं Kamada Ekadashi 2025 Date, व्रत कथा, महत्व और इस दिन के नियम।
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कामदा एकादशी 2025 कब है? (Kamada Ekadashi 2025 Date)
हिन्दू पंचांग या हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कामदा एकादशी 2025 चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह एकादशी हिंदू नववर्ष के बाद आने वाली पहली एकादशी होती है।
Kamada Ekadashi Kab Hai
तारीख: 8 अप्रैल 2025 (मंगलवार)
एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 अप्रैल 2025 को रात्रि 08:00 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 8 अप्रैल 2025 को रात्रि 09:12 बजे
कामदा एकादशी व्रत पारण समय (Kamada Ekadashi Vrat Parana Time)
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है।
पारण तिथि: 9 अप्रैल 2025 (बुधवार)
पारण समय: प्रातः 06:02 से 08:34 बजे
द्वादशी तिथि समाप्ति: रात्रि 10:55 बजे
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कामदा एकादशी व्रत का महत्व (Kamada Ekadashi Mahatva)

कामदा एकादशी का व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है एवं भग्वान श्री हरी विष्णु सभी प्रकार की कामनाओं को भी पूरा करते हैं।
यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है जो अपने पूर्व जन्म या इस जन्म के पापों से छुटकारा पाना चाहते हैं।
इसे करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी दुखों का अंत होता है।
इस एकादशी का व्रत सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है।
कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha)
वराह पुराण अनुसार बड़े पुराने समय की बात है भोगीपुर नाम के नगर में एक राजा पुण्डरीक राज्य करते थे। वहीँ उनके ही राज्य में ललिता और ललित नामक गंधर्व पति-पत्नी रहते थे और राजा की सभा में गायन एवं नृत्य करते थे। ललित अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम करता था। एक दिन वह सभा में गान कर रहा था, लेकिन उसका मन पत्नी में ही लगा था। इस गलती से क्रोधित होकर राजा पुण्डरीक ने उसे नरभक्षी राक्षस होने का श्राप दे दिया।
राक्षस बनकर ललित भटकने लगा, तब उसकी पत्नी ललिता ने महर्षि श्रृंगी से उपाय पूछा। महर्षि ने उसे कामदा एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया। ललिता ने विधिपूर्वक व्रत किया और इसके पुण्य से ललित को श्राप से मुक्ति मिल गई।
कामदा एकादशी पर क्या करें और क्या न करें? (Kamada Ekadashi Me Kya Kare Kya Nahi)
कामदा एकादशी पर करें ये कार्य:
प्रातःकाल स्नान कर व्रत और संकल्प लें।
भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी दल अर्पित करें।
व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
जरूरतमंदों को दान करें।
एकादशी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।
कामदा एकादशी पर न करें ये कार्य:
चावल और मसूर की दाल का सेवन न करें।
तामसिक भोजन (मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन) से परहेज करें।
क्रोध, झूठ, निंदा, चोरी और अन्य नकारात्मक कार्यों से बचें।
इस दिन झूठ बोलना और हिंसा करना वर्जित माना गया है।
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