लाभ पंचमी (Labh Panchami) को सौभाग्य लाभ पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को मुख्य रूप से गुजरात (Gujrat) में मनाया जाता है। मान्यता है कि गुजरात में लाभ पंचमी के दिन दिवाली उत्सव की समाप्ति होती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार लाभ पंचम (Labh Pancham) कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि को मनाई जाती है। लाभ पंचम आम तौर पर काली चौदस के एक सप्ताह बाद और दीपावली त्यौहार के 5 दिन बाद मनाई जाती है। लाभ पंचमी को ‘लाखनी पंचमी’, ‘ज्ञान पंचमी’ और सौभाग्य पंचमी भी कहा जाता है। इस दिन को लाभ की दृष्टि से बेहद शुभ माना गया है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार लाभ पंचमी के दिन पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि, खुशहाली और व्यवसाय में सफलता और अच्छे भाग्य की प्राप्ति होती है।
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लाभ पंचमी का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष लाभ पंचमी 6 नवंबर को मनाई जाएगी। लाभ पंचमी के शुभ मुहूर्त को लेकर हमने भोपाल के ज्योतिषाचार्य आचार्य राकेश जी से बात की तो उन्होंने हमे बताया कि लाभ पंचम का मुहूर्त सुबह 6:12 से लेकर सुबह 10:08 तक है। वहीं पंचमी तिथि की शुरुआत 6 नवंबर को रात के 12:16 से होगी, जो कि 7 नवंबर 2024 को सुबह 12:41 तक रहेगा।
लाभ पंचमी का महत्व
लाभ पंचमी मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से मनाने के बाद वहां दीपावली त्यौहार की समाप्ति हो जाती है। इसके बाद से दीपावली त्यौहार के दौरान बंद की गई सभी दुकानें और व्यवसाय फिर से खुल जाते हैं। वहीं एक बिजनेसमैन के लिए अपने किसी नए उद्योग और व्यवसाय को शुरू करने के लिए यह बेहद ही शुभ दिन माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। लोग लाभ पंचम के दिन अपना बहि खाता भी खोलते हैं। जीवन में ज्ञान और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी और भगवान गणेश यंत्र से दोनों की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन कई भक्त मां सरस्वती की भी विशेष रूप से पूजा करते हैं। अपनी इस पूजा को और भी सफल बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रसाद, मिठाई और फल चढ़ाने चाहिए। गुजरात में दीपावली के दिन से लाभ पंचम तक अपने दोस्तों रिश्तेदारों के घर जाने की परंपरा है। इस त्यौहार से आप उन लोगों के साथ अपने संबंध फिर से अच्छे कर सकते हैं जिनसे आपके संबंध में दूरी आ गई है। इस दिन मिठाई और अन्य उपहार का आदान-प्रदान किया जाता है। जिससे एक दूसरे के साथ बने हुए संबंध में और भी मधुरता आ जाती है।
लाभ पंचम पूजा विधि क्या है?
लाभ पंचम पूजा के दिन भक्तों को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान सूर्य को जल से अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद शुभ चौघड़िया मुहूर्त में भगवान गणेश और भगवान शिव की मूर्तियों को स्थापित करना चाहिए। इसके बाद एक सुपारी लेकर उनके चारों ओर पवित्र धागा लपेट लें। इसके बाद वहां पर चावल की गोल ढेरी रख दें। हो सके तो भगवान गणेश की प्रतिमा को उस पर स्थापित करें। इसके बाद भगवान गणेश को सिंदूर, चंदन, फूल और दूर्वा चढ़ाएं। वहीं, भगवान शिव पर भस्म, बेलपत्र, सफेद वस्त्र, धतूरे के फूल चढ़ाएं। अपने पूजा को और भी सफल बनाने के लिए भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाएं और भगवान शिव को दूध से बना प्रसाद चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शिव और भगवान गणेश के लिए लाभ पंचम मंत्र का जाप कर अपनी पूजा को पूरा करें।
विघ्नहर्ता गणेश के लिए लाभ पंचम मंत्र
लम्बोदरं महाकायं गजवक्त्रं चतुर्भुजम्। आवाह्याम्यहं देवं गणेशं सिद्धिदायकम्।।
जाने महादेव के लिए लाभ पंचम मंत्र
त्रिनेत्राय नमस्तुभ्यं उमादेहार्धधारिणे। त्रिशूलधारिणे तुभ्यं भूतानां पतये नम:।।