मां कालरात्रि, देवी दुर्गा का सातवां रूप हैं, जिन्हें नवरात्रि के सातवें दिन (सप्तमी) पूजा जाता है। मां कालरात्रि अपने भयंकर रूप के लिए जानी जाती हैं और उन्हें सभी बुराईयों का नाश करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। हालांकि उनका स्वरूप भयावह है, लेकिन वह अपने भक्तों पर अत्यधिक कृपा बरसाती हैं और उन्हें शांति, समृद्धि, और सफलता का आशीर्वाद देती हैं।
इस लेख में हम मां कालरात्रि के महत्व, पौराणिक कथा और नवरात्रि में उनके पूजन विधि के साथ-साथ उनकी पूजा से मिलने वाले लाभों के बारे में जानेंगे।
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मां कालरात्रि का महत्व
मां अज्ञानता का नाश और अंधकार को दूर करने का प्रतीक मानी जाती हैं। “कालरात्रि” नाम दो शब्दों से बना है: “काल” जिसका अर्थ है मृत्यु, और “रात्रि” जिसका अर्थ है रात। वह उस अंधेरी रात की प्रतीक हैं जो अंततः उजाले का मार्ग प्रशस्त करती है।
वह गधे की सवारी करती हैं और उनके हाथों में तलवार, त्रिशूल और वज्र होते हैं। उनका काला रंग, तीन आंखें, और विकराल बाल उनके उग्र रूप को दर्शाते हैं, जो बुरी शक्तियों का नाश करने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। हालांकि उनका रूप भयंकर है, लेकिन वह “शुभंकरी” भी कहलाती हैं, जिसका अर्थ है जो शुभ और कल्याणकारी हैं, क्योंकि वह अपने भक्तों को भयमुक्त जीवन का आशीर्वाद देती हैं।
माता कालरात्रि की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, मां ने राक्षस रक्तबीज का संहार किया था। रक्तबीज को वरदान प्राप्त था कि उसके खून की हर बूंद से एक नया रक्तबीज उत्पन्न होगा। मां काली ने रक्तबीज के खून को पीकर उसका संहार किया, जिससे उसकी बुराई का अंत हो गया। यह कथा अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।
कालरात्रि माता की पूजा के लाभ
मां काली की पूजा करने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं:
- साहस और निर्भयता:
मां अपने भक्तों को निर्भीक बनाती हैं और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करती हैं। - बुराई से सुरक्षा:
वह सभी नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों का नाश करती हैं और अपने भक्तों की सुरक्षा करती हैं। - समृद्धि और सफलता:
नवरात्रि में मां की पूजा करने से जीवन में समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। - आध्यात्मिक उन्नति:
मां, भक्तों को अज्ञानता से मुक्त करती हैं और उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान के मार्ग पर ले जाती हैं।
मां कालरात्रि की पूजा विधि
नवरात्रि के सातवें दिन मां काली की पूजा की जाती है। उनकी पूजा विधि इस प्रकार है:
- पूजा स्थल की शुद्धि:
पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें। मां कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। - मां को अर्पण करें:
मां कालरात्रि को लाल फूल, विशेष रूप से गुड़हल का फूल, चढ़ाएं। घी का दीपक जलाएं और फल व मिठाई जैसे गुड़ और हलवा अर्पित करें। - मंत्र जाप करें:
मां काली के आशीर्वाद के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:“ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।” - आरती करें:
मां काली की आरती गाएं और उनकी स्तुति करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण करें। - ध्यान और साधना:
पूजा के बाद कुछ समय मां काली के सामने ध्यान करें और उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करें।
सातवें दिन का रंग – काला
नवरात्रि के सातवें दिन काले रंग का विशेष महत्व है। काला रंग नकारात्मकता और बुरी शक्तियों के विनाश का प्रतीक है। इस दिन भक्त काले वस्त्र धारण करके मां काली की पूजा करते हैं।
मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुह से बचाने वाली ॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥
खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥
तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ॥
मां कालरात्रि भले ही भयंकर रूप में दिखाई देती हैं, लेकिन वह अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। नवरात्रि में उनकी पूजा अच्छाई की बुराई पर विजय की याद दिलाती है और जीवन में साहस की महत्ता को दर्शाती है। मां कालरात्रि की कृपा से न केवल निर्भयता और सुरक्षा प्राप्त होती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और समृद्धि भी मिलती है।
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