माता बगलामुखी के प्रसिद्ध मंदिर और कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ

आधुनिक युग विज्ञान का युग है और लोग आमतौर पर चमत्कार जैसी चीजों पर यकीन नहीं करते हैं। लेकिन, कई बार ऐसी घटनाएं जीवन में घट जाती हैं। जिसका जवाब न वैज्ञानिकों के पास है और न ही आधुनिक विज्ञान के पास। 

बात सन् 1962 की है। चीन की सेनाओं ने भारत पर हमला बोल दिया था। हिंदी-चीनी, भाई-भाई का नारा उस समय तक व्यर्थ हो चुका था। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को खुफिया जानकारी मिली थी कि, चीन किसी भी समय दिल्ली पर हवाई हमला कर सकता है।

इस सूचना को पाते ही नेहरु राजधानी दिल्ली को खाली करने के बारे में विचार करने लगे थे। इसी समय, नेहरू जी के किसी करीबी ने उन्हें मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित पीतांबरा पीठ की माता बगलामुखी और उनके अनन्य भक्त स्वामी जी महाराज के बारे में बताया। 

पंडित नेहरू ने माता बगलामुखी की महिमा को सुना और आशा की अंतिम किरण के तौर पर उन्होंने दतिया जाने का फैसला किया। जवाहर लाल नेहरु हवाई जहाज से ग्वालियर और फिर दतिया आए।

दतिया आकर उन्होंने सिद्ध संत स्वामी जी महाराज से मुलाकात की। स्वामी जी महाराज ने उन्हें आश्वासन दिया कि, ठीक 9 दिन बाद चीन की सेनाएं वापस लौट जाएंगी। तत्काल 9 हवन कुंड बनवाए गए और माता बगलामुखी का पूजन-हवन शुरू कर दिया गया। नेहरु भी हवन में शामिल हुए और शुरुआती आहुतियां देने के बाद दिल्ली वापस लौट गए।

स्वामी जी महाराज ने इस यज्ञ में पूरे देश के सर्वश्रेष्ठ आचार्यों को दतिया बुलवा लिया। 9 दिन-9 रात तक स्वामी जी महाराज आचार्यों सहित यज्ञशाला में हवन करते रहे। ठीक 9 दिन बाद चीन की सेनाएं अपने आप जीते हुए क्षेत्र को छोड़कर पीछे हट गईं। 

चीन की सेनाओं ने जीते हुए क्षेत्र से अपना कब्जा क्यों छोड़ दिया? ये एक सवाल है। लेकिन, उस महायज्ञ की याद दिलाने वाला वो यज्ञस्थल आज भी दतिया में उसी अवस्था में सुरक्षित है। ये घटना उसी यज्ञस्थल पर लिखी हुई है।

माता बगलामुखी के प्रसिद्ध मंदिर:

1. मां पीतांबरा शक्तिपीठ (दतिया, मध्य प्रदेश)

मां बगलामुखी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में सबसे पहला नाम मध्य प्रदेश के दतिया स्थित पीतांबरा पीठ का है। दतिया स्थित मंदिर महाभारत कालीन है। लोकमत है कि, इस मंदिर में माता का स्वरूप एक ही दिन में कुल 3 बार रूप बदलता है।

2. मां बमलेश्वरी (डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़)

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले से लगभग 40 किलोमीटर दूर डोंगरगढ़ नाम का स्थान है। यहीं एक ऊंची पहाड़ी पर मां बमलेश्वरी का मंदिर स्थित है, जहां मां बगलामुखी विराजमान है। यहां प्रत्येक वर्ष आश्विन और चैत्र नवरात्रि में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिस तरह लोग दूर-दूर से यहां माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

3. त्रिशक्ति माता (नलखेड़ा, शाजापुर, मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश में उज्जैन से लगभग 40 किलोमीटर दूर शाजापुर जिले के नलखेड़ा में भी मां बगलामुखी का मंदिर है। ये मंदिर लक्ष्मणा या लखुंदर नदी के किनारे है। ये चमत्कारिक मंदिर भी महाभारतकालीन है। 

ऐसी मान्यता है कि, युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध जीतने के बाद श्री कृष्ण के निर्देश पर इस मंदिर की स्थापना करवाई थी।

4. माता ​बगलामुखी मंदिर (बनखंडी, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश)

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मां बगलामुखी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। इसे बनखंडी मंदिर के नाम से जाना जाता है। 

लोकमत है कि, इस मंदिर का निर्माण त्रेतायुग में मेघनाद ने किया था। युद्ध से पहले माता से शक्ति प्राप्त करने के लिए मेघनाद ने यहां तांत्रिक हवन भी किया था। मेघनाद का हवनकुंड आज तक जाग्रत है, जिसमें शत्रु और बाधा निवारण के लिए लोग हवन करवाते हैं।

5. माता बगलामुखी मंदिर (कोटला, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश)

कांगड़ा जिले में ही माता बगलामुखी का ये दूसरा बड़ा मंदिर पठानकोट मंडी राजमार्ग NH20 पर स्थित है। इस मंदिर को महाभारतकालीन माना जाता है। ये कांगड़ा के राजपरिवार की कुलदेवी भी कही जाती हैं।

कांगड़ा शहर का पुराना नाम ‘त्रिगर्त’ था। त्रिगर्त के राजा सुशर्मा ने इस मंदिर की स्थापना की थी। सुशर्मा और उसके भाई ने दुर्योधन के कहने पर अर्जुन को युद्ध की चुनौती दी थी। सुशर्मा से युद्ध करते हुए अर्जुन रणभूमि से काफी दूर निकल गए। जिसके बाद द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की और अभिमन्यु उसमें फंसकर मारा गया।

6. श्री बगलामुखी शक्तिपीठम (शिवमपेट, तेलंगाना)

तेलंगाना राज्य के नरसापुर जिले के शिवमपेट में माता बगलामुखी का ये सिद्ध मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में बड़ी संख्या में माता के भक्त हवन—पूजन करवाने के लिए आते हैं। माता का स्वरूप अति सुंदर है, जो अनायास ही भक्तों के मन को मोह लेता है।  

7. श्री बगलामुखी मंदिर (कामाख्या, कामरूप, असम)

गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर, तांत्रिक विद्या के प्राथमिक केंद्रों में से एक है, जिसमें प्रत्येक महाविद्या के मंदिर हैं, जिनमें से एक देवी बगलामुखी को समर्पित है, जो कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित है। 

8. माता बगलामुखी मंदिर (सिंधनूर, सोमलापुरा, कर्नाटक)

माता बगलामुखी का ये मंदिर बहुत प्रसिद्ध नहीं है। लेकिन प्राचीन होने के कारण इस मंदिर की शक्तियां बहुत अधिक बताई जाती हैं। ये मंदिर उत्तरी कर्नाटक के रायचूर जिले के सिंधनूर तालुक के सोमलापुरा (कल्याणी) में स्थित है। 

ये शक्तिशाली बगुलामुखी सिद्ध शक्ति पीठ है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, मंदिर का निर्माण एक महान योगी ने किया था। देवी का साक्षात्कार होने के बाद योगी ने खुद को देवी के लिए समर्पित करने की इच्छा की। योगी ने मंदिर में ही रहकर पूजा पाठ करने का फैसला किया और फिर कभी यहां से नहीं गया। 

एक अन्य किंवदंती के अनुसार, मंदिर का निर्माण लगभग 300 साल पहले महान योगी श्री चिदानंद अवधूत ने किया था। उन्होंने कर्नाटक के लोकप्रिय ग्रंथ ‘श्री देवी चरित्र’ की भी रचना की थी। कहा जाता है कि, देवी को की जाने वाली प्रार्थनाएं बृहस्पति ग्रह को शांत करती हैं ।

9. श्री माता बगलामुखी मंदिर (विरुपाक्षी, मुलबागिलु, कोलार)

कर्नाटक के कोलार जिले के मुलबागिलु के पास स्थित छोटे से गांव विरुपाक्षी में देवी मां का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। विरुपाक्षी मंदिर के परिसर में ही देवी को समर्पित एक मंदिर स्थापित है। 

लोककथाओं के अनुसार, विरुपाक्ष लिंग की स्थापना श्रीगुरु दत्तात्रेय के पिता, महान ऋषि अत्रि ने की थी। सूर्योदय से सूर्यास्त तक लिंग 3 प्रकार से अपना रंग बदलता है। ऐसा माना जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने विरुपाक्षी में बगलामुखी मंदिर का निर्माण कराया था।

10. माता बगलामुखी मंदिर (नेवार, पाटन, काठमांडू)

माता बगलामुखी को समर्पित एक विशाल मंदिर नेपाल के काठमांडू के पास पाटन के नेवार शहर में स्थित है। नेपाल में माता बगलामुखी के तांत्रिक स्वरूप की पूजा को शाही संरक्षण प्राप्त था। पाटन में इस मंदिर के क्षेत्र में गणेश, शिव, सरस्वती, गुहेश्वर, भैरव आदि को समर्पित कई अन्य मंदिर भी हैं।

माता बगलामुखी को समर्पित अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में 

  • पंजाब के होशियारपुर​ जिले के माहिलपुर का बगलामुखी मंदिर
  • मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित निखिल धाम भोजपुर का बगलामुखी मंदिर
  • तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के बगलापीतम, एरैयुर रोड, वल्लाकोट्टई का मंदिर
  • तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले का श्री सूर्यमंगलम, कल्लिदैकुरिची, पापनकुलम गांव का मंदिर शामिल हैं।

मां बगलामुखी के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें

मां बगलामुखी की पूजा विधि के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें