हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर इस त्योहार को महाराष्ट्र में सबसे अधिक भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है। भगवान गणेश की पूजा का यह पर्व पूरे देश के लोगों के लिए खास होता है।
हिंदू परिवारों में भगवान गणेश की प्रतिमाओं की स्थापना इसी दिन की जाती है। गणपति बप्पा के घर में आगमन से सारे विघ्न- बाधाएं दूर हो जाती हैं। भगवान गणेश सभी सुखों के दाता माने जाते हैं। उनकी पूजा कभी खाली नहीं जाती है।
इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं गणेश चतुर्थी की पूजा-अनुष्ठान की विधि के बारे में। इस आर्टिकल को पढ़कर आप भी भगवान गणेश की उपासना का महत्व और उनकी महिमा को समझ जाएंगे।
गणेश चतुर्थी की पूजा-अनुष्ठान की विधि
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापना करते समय संकल्प लिया जाता है और उसके बाद गणेश जी के आह्वान के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है। इसके बाद पंडाल या घर के मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
षोडशोपचार विधि
भगवान गणेश जब 10 दिनों के लिए घर में विराजमान होते हैं तो उन्हें 16 प्रकार का भोग लगाया जाता है। इस परंपरा में सबसे पहले गणेश जी के चरणों को जल से धोया जाता है। उन्हें पंचामृत से स्नान कराया जाता है। गणेश जी को चंदन का टीका लगाया जाता। इसके बाद उन्हें फल, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
गणेश पूजन से लाभ
भगवान श्री गणेश नवग्रहों से सीधा संबंध रखते हैं। इसीलिए नवग्रहों द्वारा संचालित क्षेत्र गणेश पूजन से सरल और फलदायक हो जाते हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से बुद्धि, विवेक, निरोगी जीवन, प्रसिद्धि, सिद्धि, यश तथा संतान की प्राप्ति होती है।
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥
अर्थ : जो हाथी के समान मुख वाले हैं, भूतगणादिसे सदा सेवित रहते हैं, कैथ तथा जामुन फल जिनके लिए प्रिय भोज्य हैं, पार्वती के पुत्र हैं तथा जो प्राणियों के शोक का विनाश करनेवाले हैं, उन विघ्नेश्वर के चरणकमलों में मैं नमस्कार करता हूं।
गणेश विसर्जन विधि
‘एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्’
अर्थ: जो एक दांत और विशाल शरीर वाले हैं, लम्बोदर हैं, गजानन हैं तथा जो विघ्नों के विनाश कर्ता हैं, मैं उन दिव्य भगवान् हेरम्ब को प्रणाम करता हूं।
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जब भक्त 10 दिनों तक पूरी भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा अर्चना करता है तो अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है और उनकी विदाई की जाती है।
घर की सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए हर साल बप्पा के भक्त गणेशजी की प्रतिमा को घर लाते हैं और बड़े धूमधाम से उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।
यह 10 दिवसीय उत्सव भगवान गणेश की पूजा अर्चना के लिए समर्पित होता है। भगवान गणेश, गजानन, धूम्रकेतु, एकदंत, वक्रतुंड और सिद्धि विनायक जैसे विभिन्न रूपों में भी जाने जाते हैं, बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजनीय हैं।
अगर आप भी अपने जीवन में सौभाग्य और समृद्धि को लाना चाहते हैं तको इस बार भगवान गजानन को घर पर पूरे श्रद्धाभाव से विराजमान करें। भगवान वक्रतुंड की कृपा से सब काम अपने आप ही बनते जाएंगे।
गौरीनन्दन गजानना
गिरिजानन्दन निरञ्जना
पार्वतीनन्दन शुभानना
शुभानना शुभानना
पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्नाम्॥
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, खासकर महाराष्ट्र में। इस दिन भगवान गणेश की प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और विघ्न-बाधाओं का नाश होता है। यह 10 दिवसीय उत्सव गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है, जिसमें षोडशोपचार विधि के तहत भगवान को 16 प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं। पूजा के अंत में अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। गणेश पूजन से बुद्धि, विवेक, निरोग्य जीवन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।