देवशयनी एकादशी पर करें भगवान विष्णु की पूजा, चातुर्मास की शुरुआत, आज बनते हैं सारे बिगड़े काम

आषाढ़ माह की एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है इसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है। देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु जी चार महीने के लिए पाताल लोक में शयन करते हैं

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

आषाढ़ माह की एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है इसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है। देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु जी चार महीने के लिए पाताल लोक में शयन करते हैं। 

इन चार महीनों की अवधि में मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन संस्कार जैसे शुभ कार्य नहीं किय जाते हैं। वैदिक शास्त्रों के अनुसार यह चार महीने का समय चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। 

इन चार महीनों की अवधि में साधु-संत एक स्थान पर निवास कर भगवान की भक्ति, व्रत, साधना, आराधना और जप-तप आदि के माध्यम से आत्मसाधना में लीन रहते हैं।

जैन धर्म में भी चातुर्मास का है विशेष विधान

जैन धर्म के अनुसार चातुर्मास का प्रारंभ काल आषाढ़ शुक्ल चतुर्दशी से प्रारंभ माना जाता है। इन चार महीनों की अवधि में जैन मुनि एक स्थान का चयनकर उस जगह पर चातुर्मास की स्थापना कर चार महीनों तक विशेष ध्यान तप आदि क्रियाओं के द्वारा आत्मआराधना करते हैं।

देवशयनी एकादशी पर करें दान…

देवशयनी एकादशी के दिन ब्राह्मण और जरुरतमंद लोगों को दान करना चाहिए। वहीं, देवशयनी एकादशी व्रत के पारण के बाद जरुरमंद लोगों को मिठाई, अन्न, फल, वस्त्र आदि का दान करना उत्तम माना जाता है। 

ऐसा करने से व्यक्ति को कभी भी अन्न और धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। इसके अलावा इस दिन दूध और दही का दान करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को अपने जीवन में आ रहे दुख और परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

देवशयनी एकादशी पर पूजा विधान…

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि, एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। देवशयनी एकादशी पर रात्रि काल में विशेष विधि से भगवान विष्णु की पूजा करें।

भगवान को पीली वस्तुएं, विशेषकर पीला वस्त्र अर्पित करें। श्री हरि को धूप, दीप, फल,फूल अर्पित करें। 

‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्। 

विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।।

उक्त मंत्र से भगवान विष्णु की प्रार्थना करें।

इन मंत्रों का करें जाप…

  • ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’
  • ‘ॐ नमो नारायणाय’
  • ‘हरे राम हरे कृष्ण’
  • ‘मंगलम भगवान विष्णु 
  • ‘कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने’ 

जैसे, शक्तिशाली मंत्रों का जाप करके देवशयनी एकादशी मनाएं।

॥ विष्णु शान्ताकारं मंत्र ॥

शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।

लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।

ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥