करवा चौथ भारतीय विवाहित महिलाओं का एक प्रमुख पर्व है, जिसे वे अपने पति की लंबी उम्र, समृद्धि और सुख-शांति के लिए मनाती हैं। यह व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जब महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत का पारण करती हैं। करवा चौथ का यह पर्व महिलाओं के लिए समर्पण, प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है।
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करवा चौथ 2024 तिथि
करवाचौथ | Sunday, October 20, 2024 |
करवाचौथ पूजा मुहूर्त | 5:46 PM to 7:02 PM |
करवाचौथ उपवास समय | 06:25 AM to 07:54 PM |
चंद्रोदय समय | 07:54 PM |
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ | 06:46 AM on Oct 20, 2024 |
चतुर्थी तिथि समापन | 04:16 AM on Oct 21, 2024 |
करवा चौथ का महत्त्व
इस त्यौहार का भारतीय संस्कृति और परंपरा में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूती देता है, बल्कि समाज और परिवार के बीच प्रेम और एकता का संदेश भी फैलाता है। आइए, इस त्योहार के विभिन्न पहलुओं को जानें:
1. पौराणिक महत्त्व
करवा चौथ से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध कथा रानी वीरवती की है। रानी वीरवती अपने सात भाइयों की इकलौती बहन थी, जिन्होंने अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। लेकिन व्रत के दौरान उनकी कमजोरी देखकर उनके भाइयों ने उन्हें छलपूर्वक चंद्रमा दिखाकर व्रत तुड़वा दिया। इसके तुरंत बाद उन्हें अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। इसके बाद वीरवती ने माता पार्वती से प्रार्थना की और उनकी तपस्या से उनके पति को पुनः जीवन मिला। तभी से करवा चौथ का पर्व महिलाओं के लिए प्रेम, निष्ठा और समर्पण का प्रतीक बन गया।
2. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व
करवा चौथ आज के समय में सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो गया है। महिलाएं इस दिन अपने सबसे अच्छे परिधानों में सजती-संवरती हैं, विशेष रूप से लाल या चमकीले रंग की साड़ियां पहनती हैं, और मेहंदी से अपने हाथों को सजाती हैं। यह एक ऐसा अवसर है जो परिवार और समाज में उत्सव का माहौल बनाता है।
3. करवा चौथ के रीति-रिवाज
व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी नामक भोजन से होती है, जिसे सास अपनी बहू को देती है। इसमें फल, मिठाई और अन्य पौष्टिक चीजें होती हैं, जो पूरे दिन ऊर्जा बनाए रखने में मदद करती हैं। महिलाएं दिनभर बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत करती हैं और शाम को करवा चौथ की पूजा करती हैं। पूजा के दौरान महिलाएं करवा में जल भरकर माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
चंद्रमा के उदय होने के बाद, महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखकर अर्घ्य देती हैं और फिर अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का पारण करती हैं।
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ज्योतिषीय महत्त्व
करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन चंद्रमा की विशेष स्थिति के कारण अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से जीवन में शांति, सुख और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने से चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को भी कम किया जा सकता है।
करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो न केवल विवाह संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि इसमें श्रद्धा, प्रेम और विश्वास का भी विशेष स्थान है। 2024 में करवा चौथ 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा, और इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखकर चंद्रमा की पूजा करेंगी। यह पर्व पारिवारिक प्रेम, समर्पण और समाज में एकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
इस करवा चौथ पर चंद्रमा के आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करें। यदि आप अपने पूजा पाठ एवं धार्मिक अनुष्ठानों को और अधिक सात्विक बनाना चाहते हैं तो ख़रीदये हमारे शुद्ध घी से बने दिए एवं धुप बतियाँ।