कब से शुरू हो रही है नवरात्रि? शुभ मुहूर्त और महत्त्व

नवरात्री का समय माँ दुर्गा के अलग अलग रूपों की पूजा अर्चना करने का होता है

भारत में नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा की उपासना का विशेष समय होता है। इस त्यौहार को पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, और यह धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है। इस लेख में हम जानेंगे कि 2024 में नवरात्रे कब से शुरू हो रही है, इसका शुभ मुहूर्त क्या है, और इस पर्व का धार्मिक महत्त्व।

2024 में नवरात्रि कब से शुरू हो रही है?

नवरात्री के त्यौहार में माँ दुर्गा के बड़े बड़े पंडाल भी लगते हैं
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वर्ष 2024 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर 2024 (गुरुवार) से हो रही है और इसका समापन 12 अक्टूबर 2024 (शनिवार) को होगा। यह पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें हर दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।

नवरात्रि का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही घट स्थापना (कलश स्थापना) का विशेष महत्त्व होता है। घट स्थापना के बिना नवरात्रे की पूजा अधूरी मानी जाती है, इसलिए इसे शुभ मुहूर्त में करना अत्यंत आवश्यक है।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त:
3 अक्टूबर 2024 को घट स्थापना का शुभ समय सुबह 06:32 AM से 08:48 AM तक रहेगा। इसके अतिरिक्त अभिजीत मुहूर्त भी शुभ माना जाता है, जो कि दोपहर 11:45 AM से 12:33 PM तक रहेगा।

नवरात्रि का धार्मिक महत्त्व

नवरात्रे का पर्व देवी दुर्गा की पूजा और उनके नौ रूपों की उपासना का समय है। ये नौ दिन भक्तों को आत्मशुद्धि, संयम और शक्ति का अभ्यास करने का अवसर प्रदान करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन दिनों में देवी दुर्गा पृथ्वी पर अवतरित होती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।

देवी दुर्गा के नौ रूप हैं जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है, और नवरात्रे के हर दिन इन रूपों की विशेष पूजा की जाती है:

नवरात्री के पर्व पर माता दुर्गा के नव रूपों की पूजा होती है
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  1. शैलपुत्री – माता पार्वती का अवतार
  2. ब्रह्मचारिणी – तपस्या की देवी
  3. चंद्रघंटा – साहस और वीरता की प्रतीक
  4. कूष्मांडा – ब्रह्मांड की सृष्टिकर्ता
  5. स्कंदमाता – भगवान कार्तिकेय की माता
  6. कात्यायनी – युद्ध की देवी
  7. कालरात्रि – सभी नकारात्मक शक्तियों का विनाश करने वाली
  8. महागौरी – शांति और शुद्धता की देवी
  9. सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों की प्रदाता

नवरात्रि में पूजन विधि और नियम

धूपबत्ती एवं दिए जलाकर माँ दुर्गा की पूजा करते भक्त
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नवरात्रि के दौरान पूजा और व्रत का विशेष महत्त्व है। भक्त प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और शुद्ध भाव से देवी दुर्गा की आराधना करते हैं। पूजा की शुरुआत घट स्थापना (कलश स्थापना) से होती है, जिसमें एक मिट्टी के बर्तन में मिट्टी डालकर उसमें जौ बोए जाते हैं। फिर उस बर्तन में जल से भरा कलश स्थापित किया जाता है, जिसके ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखे जाते हैं। इस कलश को देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है, और इसे पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है।

घट स्थापना के बाद, देवी दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाया जाता है और फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग) चढ़ाया जाता है। देवी की स्तुति में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है, जो नवरात्रि के दौरान अत्यंत शुभ माना जाता है। यह पाठ दुर्गा देवी की महिमा का वर्णन करता है और भक्तों को उनके जीवन में आने वाली समस्याओं से मुक्ति दिलाने का साधन माना जाता है।

पूजा के दौरान भक्त मां दुर्गा को फल, मिठाई, नारियल और बेलपत्र चढ़ाते हैं। हर दिन देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, और उन्हें समर्पित मंत्रों का जाप किया जाता है।


नवरात्रे का पर्व शक्ति और भक्ति का प्रतीक है। यह नौ दिनों का उत्सव न केवल देवी दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित है, बल्कि यह आत्म-नियंत्रण, अनुशासन, और आध्यात्मिक जागरूकता का भी समय है। इस दौरान देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए सही विधि और शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना करना अत्यंत आवश्यक है।

2024 में नवरात्रि का यह पर्व 3 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, जो भक्तों के लिए अपने जीवन में शक्ति, शांति, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक विशेष अवसर है।