हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्री के आगमन के साथ होती है और इन्हीं चैत्र नवरात्री के आखिरी दिन यानि कि नवमी के दिन राम जन्मोत्सव मनाया जाता है। आइये राम नवमी के बारे में और भी कई नई बातें जानते हैं।
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राम नवमी किस दिन मनाई जाती है?
राम नवमी चैत्र नवरात्रि के नवें दिन मनाई जाती है। राम नवमी की चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष के नवमे दिन आती है। इसी दिन माँ सिद्धिदात्री की भी पूजा की जाती है जिन्हें माँ दुर्गा का नवां रूप माना जाता है।
राम नवमी 2025 की तिथि (Ram Navmi Kab Hai)
राम नवमी 2025 में यह पर्व 6 अप्रैल 2025, रविवार को मनाया जाएगा।
राम नवमी क्यों मनाई जाती है? (Ram Navmi Kyu Manate Hain)

राम नवमी का पर्व भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्री राम के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। जब त्रेता युग में धरती पर असुरों का प्रभाव बहुत बढ़ गया तब असुरों का नाश करने के लिए एवं अपने भक्तों, ऋषि मुनियों की रक्षा करने के लिए श्री हरी विष्णु ने श्री राम का अवतार लिया था। यह दिन धर्म की पुनर्स्थापना, मर्यादा, सत्य, और न्याय के आदर्श रूप की पूजा का प्रतीक है।
राम जन्म कथा (Ram Janm Katha in Hindi)

त्रेता युग के समय में अयोध्या नगरी के राजा थे दशरथ। दशरथ जी के तीन रानियां थी जिनका कि नाम कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा था किन्तु उनके एक भी पुत्र नहीं था। पुत्र प्राप्ति की इक्छा से उन्होंने ऋष्यशृंग मुनि से सलाह लेकर पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। जब यह यज्ञ संपन्न हुआ तो अग्नि देव ने प्रकट होकर राजा दसरथ को एक को एक कटोरे में दिव्य खीर प्रदान की और सलाह दी की इसे अपनी रानियों को खिला देना।
दोनों बड़ी रानियों ने खीर को खाया और अपनी खीर का एक एक हिस्सा छोटी रानी सुमित्रा को भी दिया। इसी दिव्य खीर और यज्ञ के फलस्वरूप चैत्र शुक्ल नवमी के दिन, पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में कौशल्या से भगवान श्रीराम, कैकेयी से भरत, और सुमित्रा से लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
एक कहानी यह भी है कि जो खीर बच गई उसे एक पक्षी उड़ाकर ले गया और वह खीर माँ अंजना ने खा ली जिसके कारण श्री राम भक्त हनुमान का भी जन्म हुआ
श्रीराम का जन्म एक दिव्य प्रकाश के साथ हुआ और उस समय संपूर्ण अयोध्या में उत्सव सा माहौल था। देवताओं ने पुष्पवर्षा की और ब्रह्मांड आनंदित हो उठा। यह जन्म एक दैवी योजना का हिस्सा था, क्योंकि रावण जैसे अधर्मी का विनाश श्रीराम के हाथों ही निश्चित था। इसलिए, राम नवमी को भगवान विष्णु के अवतार की स्मृति में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
राम नवमी कहाँ कहाँ मनाई जाती है?

राम नवमी भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में उत्साह और श्रद्धा से मनाई जाती है। विशेष रूप से निम्नलिखित स्थानों पर इसका बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है:
अयोध्या (उत्तर प्रदेश): श्रीराम की जन्मभूमि होने के कारण सबसे भव्य आयोजन यही होता है।
सीतामढ़ी (बिहार): माता सीता की जन्मस्थली के कारण यहाँ विशेष पूजन होता है।
रामेश्वरम् (तमिलनाडु): श्री राम ने यहाँ स्वयं एक शिवलिंग की स्थापना की थी इसी कारण वश यहाँ भी राम नवमी का त्यौहार मनाया जाता है।
कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में भी भव्य शोभा यात्राएं और श्रीराम कथा का आयोजन किया जाता है।
विदेशों में जैसे कि नेपाल, त्रिनिदाद, फिजी, मॉरीशस, सूरीनाम, और इंडोनेशिया जैसे देशों में बसे भारतीय मूल के लोग इस दिन को खास तौर पर मनाते हैं।
राम नवमी के दिन किस-किस भगवान की पूजा की जाती है?

राम नवमी के दिन विशेष रूप से निम्न देवी-देवताओं की पूजा की जाती है:
- भगवान श्रीराम: मुख्य रूप से बाल रूप में श्रीराम का पूजन और झूले में झुलाने की परंपरा होती है।
- माँ सीता: पत्नी के रूप में उनकी पूजा कर गृहस्थ जीवन में प्रेम और मर्यादा की कामना की जाती है।
- भगवान हनुमान: राम भक्त होने के नाते इस दिन हनुमान जी की भी विशेष पूजा की जाती है।
- लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न: श्रीराम के भाइयों के रूप में उनके साथ-साथ इनकी भी पूजा की जाती है।
- माँ सिद्धिदात्री: नवरात्रि का नवम दिन होने के कारण माँ दुर्गा के इस रूप की भी उपासना की जाती है।
राम नवमी कैसे मनाई जाती है?
- उत्तर भारत के ज्यादातर सभी मंदिरों में झांकी, रामलीला, और शोभायात्राएं निकाली जाती हैं।
- घरों में राम जन्म के समय (दोपहर 12 बजे) विशेष पूजा होती है।
- कई भक्त घरों में अखंड रामायण पाठ, कीर्तन, और राम नाम का जाप करते हैं।
- कई भक्त उपवास रखते हैं और दिनभर पूजा में लीन रहते हैं।
- अयोध्या जैसे तीर्थस्थलों पर सरयू नदी में स्नान कर लोग मंदिरों में दर्शन करते हैं।
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