अनंत चतुर्दशी 2024: शुभ मुहूर्त, कथा, महत्त्व और मंत्र

अनंत चतुर्दशी के दिन एक भक्त भगवान गणेश का विसर्जन करते जाता हुआ।

अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण पर्व है, जिसे भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन भी होता है, जो 10 दिन तक चलने वाले गणेशोत्सव का समापन करता है। इस लेख में हम अनंत चतुर्दशी के शुभ मुहूर्त, महत्त्व, और इससे जुड़ी कथा के बारे में जानेंगे।

शुभ मुहूर्त

2024 में अनंत चतुर्दशी का त्योहार 17 सितंबर को मनाया जाएगा।

अनंत चतुर्दशी तिथि प्रारंभ16 सितंबर 2024 दोपहर 3:10 बजे
अनंत चतुर्दशी तिथि समाप्त17 सितंबर 2024सुबह 11:44 बजे
पूजा का शुभ समय:17 सितंबर 2024सुबह 6:07 बजे से 11:44 बजे तक

चौघड़िया मुहूर्त

गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

सुबह का शुभ समय:7:45 बजे से 9:15 बजे तक
दोपहर का शुभ समय:12:00 बजे से 1:30 बजे तक

अनंत चतुर्दशी की कथा

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के अनंत स्वरुप की पूजा की जाती है।
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त्रेतायुग में, दुर्योधन से द्यूत क्रीड़ा में पराजित हो जाने के बाद पांडवों को १२ वर्षों के वनवास के लिए जाना पड़ा, वन में रहते उन्हें अनेकों कष्‍टों को सहना पड़ा। एक दिन वन में भगवान कृष्ण युधिष्ठिर से मिलने आए। युधिष्ठिर ने उन्हें सब हाल बताया और इस विपदा से निकलने का मार्ग भी पूछा। इस पर भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चर्तुदशी का व्रत करने को कहा और कहा कि इसे करने से खोया हुआ राज्य भी मिल जाएगा। इस वार्तालाप के बाद श्रीकृष्णजी युधिष्ठिर को एक कथा सुनाते हैं।

प्राचीन समय में सुमंत नाम के एक ऋषि हुआ करते थे उनकी पत्नी का नाम था दीक्षा। कुछ समय के पश्चात दीक्षा ने एक सुंदर कन्या को जन्म दिया जिसका नाम रखा गया सुशीला, लेकिन कुछ ही समय के पश्चात सुशीला के सिर से मां का साया उठ गया। जैसे तैसे प्रभु कृपा से सुशीला बड़ी होने लगी और वह दिन भी आया जब ऋषि सुमंत को उसके विवाह की चिंता सताने लगी।

काफी प्रयासों के पश्चात कौडिन्य ऋषि से सुशीला का विवाह संपन्न हुआ लेकिन यहां भी सुशीला को दरिद्रता का ही सामना करना पड़ा। उन्हें जंगलों में भटकना पड़ रहा था। एक दिन उन्होंने देखा कि कुछ लोग अनंत भगवान की पूजा कर रहे हैं और हाथ में अनंत रक्षासूत्र भी बांध रहे हैं। सुशीला ने उनसे अनंत भगवान के व्रत के महत्व को जानकर पूजा का विधि विधान पूछा और उसका पालन करते हुए अनंत रक्षासूत्र अपनी कलाई पर भी बांध लिया।

देखते ही देखते उनके दिन फिरने लगे। कौण्डिन्य ऋषि में अंहकार आ गया कि यह सब उन्होंने अपनी मेहनत से निर्मित किया है। 

अगले ही वर्ष ठीक अनंत चतुर्दशी की बात है सुशीला अनंत भगवान का शुक्रिया कर उनकी पूजा आराधना कर अनंत रक्षासूत्र को बांध कर घर लौटी तो कौण्डिन्य को उसके हाथ में बंधा वह अनंत धागा दिखाई दिया और उसके बारे में पूछा। सुशीला ने खुशी-खुशी बताया कि अनंत भगवान की आराधना कर यह रक्षासूत्र बंधवाया है इसके पश्चात ही हमारे दिन बहुरे हैं।

इस पर कौडिन्य खुद को अपमानित महसूस करने लगे कि उनकी मेहनत का श्रेय सुशीला अपनी पूजा को दे रही है। उन्होंने उस धागे को उतरवा दिया। इससे अनंत भगवान रूष्ट हो गये और देखते ही देखते कौडिन्य अर्श से फर्श पर आ गिरे। तब एक विद्वान ऋषि ने उन्हें उनके किये का अहसास करवाया और कौडिन्य को अपने कृत्य का पश्चाताप करने को कहा। लगातार 14 वर्षों तक उन्होंने अनंत चतुर्दशी का उपवास रखा उसके पश्चात भगवान श्री हरि प्रसन्न हुए और कौडिन्य व सुशीला फिर से सुखपूर्वक रहने लगे।

श्रीकृष्ण की आज्ञा से युधिष्ठिर ने भी अनंत भगवान का व्रत किया। जिससे पाण्डवों को महाभारत के युद्ध में जीत मिली।

गणेश विसर्जन

श्रद्धालुगण अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश का पानी में विसर्जन करते हुए।

अनंत चतुर्दशी गणेशोत्सव का अंतिम दिन भी होता है, जब भक्त गणपति बप्पा का विसर्जन करते हैं। यह दिन भगवान गणेश को विदा करने और उनसे अगले वर्ष पुनः आगमन की कामना करने के लिए विशेष माना जाता है। विसर्जन के दौरान श्रद्धालु यह प्रार्थना करते हैं कि भगवान गणेश सभी बाधाओं को दूर करें और समृद्धि लाएं।

अनंत चतुर्दशी का महत्त्व

अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु के “अनंत” रूप की पूजा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। ‘अनंत’ का अर्थ है असीम या शाश्वत, जो भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का प्रतीक है। इस दिन अनंत सूत्र नामक पवित्र धागे को 14 गांठों के साथ बांधा जाता है, जो समृद्धि, सुख, और जीवन में स्थिरता का प्रतीक है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत करता है, उसे जीवन की सभी कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और उसे अनंत सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है​

अनंत चतुर्दशी की पूजा के लिए मंत्र

अनंत चतुर्दशी पूजा के दौरान भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए कुछ श्लोक एवं मंत्र जिनका उच्चारण किया जा सकता है वह इस प्रकार हैं:

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1. अनंत सूत्र पूजा मंत्र

अनंत सूत्र बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है:

अनंत संसार महासमुद्रे मघ्नं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते॥

इस मंत्र में भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की महिमा का वर्णन किया गया है और उनसे जीवन की बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना की जाती है।

2. विष्णु स्तोत्र

भगवान विष्णु की स्तुति के लिए इस श्लोक का पाठ करना शुभ माना जाता है:

शांताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम्॥
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्।
वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

3. विष्णु सहस्रनाम

विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी अनंत चतुर्दशी पर अत्यंत शुभ माना जाता है। इसमें भगवान विष्णु के 1000 नामों का गुणगान किया जाता है, जो उनकी महिमा और कृपा को दर्शाता है।

4. गणेश मंत्र

क्योंकि यह दिन गणेश विसर्जन का भी होता है, तो भगवान गणेश के आशीर्वाद के लिए इस मंत्र का उच्चारण किया जा सकता है:

ॐ गं गणपतये नमः।

पूजा करते समय धूप दीप जलाएं एवं इन मंत्रो का उच्चारण करें।

Frequently Asked Questions (FAQ’s)

1. अनंत चतुर्दशी कब मनाई जाती है?

अनंत चतुर्दशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। 2024 में यह पर्व 17 सितंबर को मनाया जाएगा।

2. अनंत चतुर्दशी का क्या महत्त्व है?

अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा के लिए मनाई जाती है। इस दिन अनंत सूत्र बांधने और भगवान विष्णु की आराधना से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और समृद्धि प्राप्त होती है।

3. अनंत सूत्र क्या है और इसे कैसे धारण किया जाता है?

अनंत सूत्र एक 14 गांठों वाला पवित्र धागा है, जिसे अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद धारण किया जाता है। पुरुष इसे बाएं हाथ पर और महिलाएं दाएं हाथ पर बांधती हैं।

4. क्या अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन होता है?

हां, अनंत चतुर्दशी के दिन गणेशोत्सव का समापन होता है और भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन श्रद्धा और भक्तिभाव से किया जाता है।