या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ- जो देवी सब प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।
आइये इस लेख में जानते हैं नवरात्रि का महत्व एवं उससे जुडी कथाएं।
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हिंदू धर्म में शक्ति पूजा का विशेष महत्व माना गया है। शक्ति की आराधना के बिना कोई भी शुभ कार्य पूर्ण नहीं माना जाता। भगवान श्री राम जी ने रावण को युद्ध में हराने के लिए मां आदि शक्ति की विधिवत 108 कमलों से पूजा की थी।
माता रानी की कृपा से भगवान राम ने रावण जैसे राक्षस को युद्ध में पराजित कर दिया था। मां आदि शक्ति की पूजा हिंदू धर्म सबसे विशेष मानी जाती है। आज हम नवरात्रि पर्व का महत्व और इस पर्व का मनाने की कथा के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।

प्रति वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इन नौ दिवसों में में आदिशक्ति मां दुर्गा की नौ शक्ति रूपों की पूजा आनंद और भक्ति का साथ की जाता है।
इन दिनों में व्रत उपवास का महत्व सबसे अधिक माना जाता है। सनातनी हिंदू नवरात्रि के महापर्व में नौ दिनों तक व्रत-उपवास जरूर रखते हैं। माता रानी इन दिनों अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाती हैं।
वह अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। वहीं, मां दुष्टों का संहार करती हैं। साधक भक्ति भाव से जगत जननी मां दुर्गा जी की नौ दिनों तक पूजा अर्चना करते हैं।
शारदीय नवरात्र की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं योग
वैदिक हिंदू पंचांग अनुसार, शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 से शुरू होगी। इसका समापन 12 अक्टूबर 2024 दशहरा पर होगा।
- घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06.15 – सुबह 07.22 (अवधि – 1 घंटा 6 मिनट)
- कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त – सुबह 11.46 – दोपहर 12.33 (अवधि – 47 मिनट)
- कन्या लग्न प्रारम्भ – 3 अक्टूबर 2024, सुबह 06:15
- कन्या लग्न समाप्त – 3 अक्टूबर 2024, सुबह 07:22
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शारदीय नवरात्र का महत्व

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक शारदीय नवरात्र उत्सव मनाया जाता है। शारदीय नवरात्र शरद ऋतु में मनाया जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है।
नवरात्र का हर दिन देवी के विशिष्ट रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरूप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं। नवरात्र का पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है।पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवी दुर्गा ने शारदीय नवरात्र के नौ दिनों में महिषासुर से युद्ध किया और विजयादशमी के दिन उसका वध किया था। शारदीय नवरात्र के दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करने और व्रत रखने से सुख-समृद्धि बनी रहती है।
नवरात्रि की पौराणिक कथा

पहली कथा
महिषासुर नामक एक राक्षस ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर उनसे वरदाना मांगा था कि दुनिया में कोई भी देव, दानव या धरती पर रहने वाला मनुष्य उसका वध न कर सके. इस वरदान को पाने के बाद महिषासुर आतंक मचाने लगा. उसके आतंक को रोकने के लिए शक्ति के रुप में मां दुर्गा का जन्म हुआ।
दूसरी कथा
भगवान श्रीराम जी ने लंका पर आक्रमण करने से पहले और रावण के साथ होने वाले युद्ध में जीत के लिए शक्ति की देवी मां भगवतीजी की आराधना की थी। रामेश्वरम में उन्होंने नौ दिनों तक माता की पूजा की।
उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने श्रीराम को लंका में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। दसवें दिन भगवान राम ने लंका नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। इस दिन को विजयदशमी के रूप में जाना जाता है।