नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कुलदेवी का विशेष पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के इस वक्त कुलदेवी की पूजा करने से वह हर मनोकामना पूरी करती हैं। कुछ परिवार घरों में अष्टमी के दिन जबकि कुछ परिवार कुलदेवी पूजन नवमी के दिन करते हैं। वहीं, कुछ परिवारों में अष्टमी या फिर नवमी के दिन मंदिर में जाकर कुलदेवी की पूजा करने की परंपरा है। कुलदेवी का पूजन करने से परिवार पर किसी भी प्रकार का संकट उत्पन्न नहीं होता। कुलदेवी घर-परिवार की सभी संकटों से रक्षा करती हैं। कुलदेवी के पूजन से घर में सुख-शांति बनी रहती है और घर में कोई आर्थिक संकट भी उत्पन्न नहीं होता है। तो आइए जानते हैं कैसे करें कुलदेवी की पूजा…
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हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक कुलदेवी का पूजन करने से पितृ दोष भी समाप्त हो जाता है। जिन परिवारों में साल की दोनों नवरात्रियों के दौरान कुलदेवी का पूजन होता है उस घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। कुलदेव का पूजा करने से मन को शांति मिलती है और घर का वातावरण अच्छा रहता है। सभी देवी-देवताओं की पूजा जिस तरह सुबह-शाम की जाती है, उसी तरह कुलदेवी और देवता की पूजा भी दीपक जलाकर सुबह-शाम करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि रोजाना कुलदेवी और देवता की पूजा करने से हमारे घर में हमेशा के लिए सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बना रहता हैं और घर के सदस्यों को सुख की प्राप्ति होती हैं।
कुलदेवी या कुलदेवता का आवाहन मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ नमो भगवते (कुलदेवी या कुलदेवता का नाम) रूपिण्यै (कुलदेवी या कुलदेवता का रूप) स्वाहा।। इस मंत्र का प्रयोग करने से कुलदेवी या कुलदेवता का आवाहन होता है। नवरात्रि पर कुलदेवी या कुलदेवता की पूजा आप कर सकते हैं। कुलदेवी या कुलदेवता के आवाहन के लिए शुभ दिन और समय का चयन आपके कुल की परंपरा पर भी निर्भर करता है। कुलदेवी या कुलदेवता को नवरात्रि, जन्माष्टमी, दीपावली, शिवरात्रि, बसंत पंचमी जैसे शुभ अवसरों पर विशेष रूप से पूजा जाता है।
ऐसे करें पूजा
1. कुलदेवी का पूजन नवरात्रि में अष्टमी या फिर नवमी को करें।
2. घर के मंदिर में घी का दीया, धूप, अगरबत्ती और कपूर जलाएं।
3. उन्हें भोग प्रसाद चढ़ाएं।
4. कुलदेवी या देवता को चंदन, अक्षत, सिंदूर आदि लगाएं।
5. कुलदेवता को हल्दी में लिपटे पीले चावल पानी में भिगोकर अर्पण करना शुभ माना जाता है।
6. पूजा के वक्त अपने कुलदेवता को पान के पत्ते के साथ सुपारी, लौंग, इलायची और गुलकंद भी अर्पण करें।
कुलदेवी या कुलदेवता कौन होते हैं?
कुलदेवी या कुलदेवता वह देवी या देवता होते हैं, जो हमारे कुल की परंपरा और इतिहास से जुड़े होते हैं। उन्हें हमारे कुल का संरक्षक माना जाता है। उनका नाम, रूप, गुण और कार्य अलग-अलग समुदायों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। अगर किसी को अपने कुलदेवी या कुलदेवता के बारे में जानकारी नहीं है तो उसे अपने घर के बुजुर्गों से इसके बारे में पूछना चाहिए। वह आपको आपके कुलदेवी या कुलदेवता की पूजा विधि और परंपरा के बारे में बता देंगे।
हमें अपने कुलदेवी और कुलदेवता की पूजा क्यों करनी चाहिए?
अपने-अपने कुलदेवता और कुलदेवी की पूजा करने की परम्परा वर्षों से चली आ रही है। घर के हर शुभ कार्य में कुलदेवता और कुलदेवी की पूजा की जाती है। परिवार में किसी का विवाह हो तो नववधू को कुलदेवता और कुलदेवी के दर्शन के लिए ले जाते हैं या बच्चे का मुण्डन हो सभी में कुलदेवता और कुलदेवी की पूजा की परम्परा है। अपने-अपने वंश-परंपरा में हमारे पूर्वजों द्वारा जो भी देवी-देवता पूजित होते आ रहे हों, आराध्य हों, उनका पूजन अवश्य करना चाहिए। कुलदेवता और कुलदेवी की पूजा करने से उनकी कृपा हम पर बनी रहती है, कुल की रक्षा होती है। कुल का वंश बढ़ता है साथ ही कुल का नाम रोशन होता है। परिवार में श्रेष्ठ संतानें जन्म लेती हैं। कुल के सभी सदस्यों को सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य, शांति और शक्ति मिलती है। पूर्वजों की कुल-परम्परा को निभाने से परिवार दीर्घायु होता है, परिवार में अकाल-मृत्यु नहीं होती है। वहीं, कुलदेवी और कुलदेवता को लेकर मान्यता है कि अगर वे किसी वजह से नाराज हो जाएं, तो परिवार पर कई तरह की परेशानियां आ सकती हैं। इसलिए कुलदेवी और कुलदेवता की पूजा जरूर करनी चाहिए।
क्या होता है कुल देवी या देवता की पूजा न करने से?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुल देवी या देवता की पूजा नहीं करने से कुछ वर्षों तक तो कोई खास अंतर नजर नहीं आता। लेकिन धीरे-धीरे जब कुल देवी या देवता का घर-परिवार पर से सुरक्षा चक्र हटता है, तो परिवार में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश शुरू हो जाता है। घर-परिवार की उन्नति रुकने लगती है और परिवार पर संकट मंडराने लगता है।